बांग्लादेश में कट्टरपंथ भारत के लिए नई चुनौती, चिकन नेक के लिए बन सकता है खतरा

शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद बांग्लादेश में उत्पन्न स्थिति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए चिंता का विषय है। कट्टरपंथी ताकतों का उदय भारत की सुरक्षा, विशेष रूप से संवेदनशील 'चिकन नेक' क्षेत्र के लिए खतरा पैदा करता है।  

Vivek Kumar | Published : Aug 25, 2024 1:17 PM IST / Updated: Aug 25 2024, 06:49 PM IST

नई दिल्ली। बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) को सत्ता से बेदखल करने के बाद जो परिस्थितियां बनी हैं वे इस देश के इतिहास का एक काला अध्याय हैं। इसने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को प्रभावित किया है। शेख हसीना के पीएम रहते बांग्लादेश भारत का दोस्ताना पड़ोसी था। भारत बांग्लादेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पार कूटनीति के मामलों में भरोसा कर सकता था। अब यहां बढ़े कट्टरपंथ ने नई चुनौती पेश की है। भारत के 'चिकन नेक' को भी खतरा है।

शेख हसीना के शासन के समय बांग्लादेश हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित था। वे हमेशा जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों से खतरे में रहते थे। बांग्लादेश में बदली राजनीतिक स्थिति वहां रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए मौत और विनाश लेकर आई। अगर बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्व हावी रहे तो यह भारत के लिए संकट हो सकता है।

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भारत ने बांग्लादेश को दिलाई थी आजादी

बांग्लादेश को आजादी दिलाने में भारत की भूमिका सिर्फ भू-राजनीतिक रणनीति के चलते नहीं थी। पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों के चलते यह नैतिक रूप से जरूरी हो गया था। बंगाली स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने नरसंहार किया था। मार्च से दिसंबर 1971 तक लगभग 3 लाख बंगालियों की हत्या की गई। 2-4 लाख बंगाली महिलाओं के साथ रेप किया गया। लाखों लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा, जिससे 20वीं सदी का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हो गया। भारत की सेना की मदद से बांग्लादेश नया देश बना।

पाकिस्तानी सेना का साथ देकर बलिदानों की विरासत को धोखा दे रहे लोग

अब 2024 में बेहद दुखद स्थिति नजर आती है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई बांग्लादेश में भारत विरोधी एजेंडा चला रही है। बंगाली आबादी का एक वर्ग उनके समर्थन में है। वे देश को मिली आजादी और इसे हासिल करने के लिए किए गए बलिदानों की विरासत को धोखा दे रहे हैं।

उपद्रवियों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण करने वाली प्रतिमा को तोड़ दिया। इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़ की गई। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को अपवित्र कर गिराया गया। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा हुई। हिंदुओं के घर, कारोबार और मंदिर बर्बाद किए गए।

बांग्लादेश में ISI और जमात-ए-इस्लामी द्वारा सरकार चलाए जाने की संभावना है। ऐसे में भारत को भयावह वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है। भारत को पाकिस्तान के साथ-साथ पूर्वी हिस्से में बांग्लादेश पर भी नजर रखनी होगी। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गठबंधन हुआ तो अस्थिरता का एक नया मोर्चा खुल सकता है। इससे सीमा पार आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी और भारत के संवेदनशील पूर्वोत्तर राज्यों में कट्टरपंथी तत्वों की घुसपैठ को बढ़ावा मिल सकता है।

भारत के 'चिकन नेक' पर भी हो सकता है खतरा

भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे अक्सर “चिकन नेक” के नाम से जाना जाता है) पर भी खतरा हो सकता है। यह कॉरिडोर भारत की मुख्य भूमि को उसके पूर्वोत्तर क्षेत्रों से जोड़ता है। इसके चलते क्षेत्र में भारत को सैन्य और खुफिया संसाधनों को लगाना होगा।

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समय ऐसा है कि भारत को सावधानी से कदम बढ़ाना होगा। हमें अपनी सीमाओं को मजबूत करने के साथ ही कूटनीतिक चैनलों को ताकत देनी होगी। भारत को ढाका में पाकिस्तान समर्थित सरकार के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक मुकाबले के लिए तैयारी करनी चाहिए।

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