यूक्रेन की 18% जमीन पर अब रूस की हुकूमत चलेगी। रूस ने इन इलाकों में 23 से 27 सितंबर तक जनमत संग्रह(referenda) कराया था। इसके बाद अमेरिका भड़क उठा है। यूक्रेन के 4 हिस्सों को रूस में विलय किए जाने के लिए क्रेमलिन में आयोजित एक कार्यक्रम में पुतिन ने अमेरिका पर जमकर प्रहार किया।
वर्ल्ड न्यूज. रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया चौंकाने वाला मोड़ आया है। पिछले 8 महीनों से चल रहे युद्ध के बीच रूस द्वारा यूक्रेन के 4 राज्यों को अपने इलाके में शामिल करने से पश्चिम मुल्कों के सीने पर सांप लोट गया है। पुतिन ने जिन शहरों को रूस में मिलाया है, इनके नाम डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जपोरिजिया हैं। यानी यूक्रेन की 18% जमीन पर अब रूस की हुकूमत चलेगी। रूस ने इन इलाकों में 23 से 27 सितंबर तक जनमत संग्रह(referenda) कराया था। इसके बाद अमेरिका भड़क उठा है। यूक्रेन के 4 हिस्सों को रूस में विलय किए जाने के लिए क्रेमलिन में आयोजित एक कार्यक्रम में पुतिन ने अमेरिका पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने लोगों का नरसंहार किया। लोगों के साथ जानवरों से बर्ताव किया और भारत को लूटा। पुतिन ने कहा कि पश्चिम ने मध्ययुग में अपनी औपनिवेशिक नीति फिर से शुरू की और फिर गुलामो का व्यापार किया। अमेरिका ने भारतीय जनजातीय समूहों का नरसंहार किया। भारत और अफ्रीका को लूटा। चीन के खिलाफ इंग्लैंड और फ्रांस के युद्ध कराए। पश्चिमी देश रूस को कालोनी(colonization) बनाना चाहते थे। वे रूस को कमजोर करने का मौका ढूंढ़ रहे थे।
अमेरिका ने लगाए रूस पर नए बैन
बाइडेन प्रशासन (Biden Administration) ने शुक्रवार (30 सितंबर) को रूस (Russia) के खिलाफ कुछ नए प्रतिबंध लागू कर दिए। अमेरिका ने यूक्रेन (Ukraine) के इलाकों में रूस के अवैध कब्जा के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा कि अमेरिका का ट्रेजरी और वाणिज्य विभागों ने रूस के अंदर या बाहर उन संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करतर है, जिन्होंने रूस को इस कथित विलय के लिए राजनीतिक या आर्थिक मदद मुहिया कराई है।
भारत ने रूस के खिलाफ नहीं लिया प्रस्ताव में भाग
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UN Security Council) में पेश किए गए प्रस्ताव के मसौदे में भाग नहीं लिया है, जिसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह और यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा करने की निंदा की गई थी और हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करते हुए बातचीत पर जोर दिया था। 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार(30 सितंबर) को अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया, जो यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह के रूस के संगठन की निंदा करता है। 15 देशों की परिषद में से 10 देशों ने प्रस्ताव के लिए मतदान किया, जबकि चीन, गैबॉन, भारत और ब्राजील ने भाग नहीं लिया।
इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज( Ruchira Kamboj) ने कहा कि भारत यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से बहुत परेशान है और नई दिल्ली(केंद्र सरकार) ने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं हो सकता है। काम्बोज ने कहा, "हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं। मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए संवाद ही एकमात्र जवाब है, चाहे वह इस समय कितना भी कठिन क्यों न हो।"
शांति के मार्ग के लिए हमें डिप्लोसी के सभी चैनलों को खुला रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी चर्चा में स्पष्ट रूप से यही बताया है। काम्बोज ने इसी संबंध में पिछले सप्ताह हाईलेवल जनरल असेंबली सेशन के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा दिए गए बयानों का भी उल्लेख किया।
उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO शिखर सम्मेलन के मौके पर पुतिन के साथ हुई बैठक में मोदी के बयान कि 'आज का युग युद्ध का युग नहीं है' का उल्लेख करते हुए काम्बोज ने कहा कि नई दिल्ली को तत्काल युद्धविराम और संघर्ष के समाधान के लिए शांति वार्ता की जल्द बहाली की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बयानबाजी या तनाव बढ़ाना किसी के हित में नहीं है। काम्बोज ने कहा कि समग्रता और मौजूदा स्थितियों को देखते हुए भारत ने संकल्प(resolution) से दूर रहने का फैसला किया।
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रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने शुक्रवार को डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया के यूक्रेनी क्षेत्रों की घोषणा की। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस(UN Secretary-General Antonio Guterres) के यह कहने के एक दिन बाद हुई कि 'धमकी या बल प्रयोग के परिणामस्वरूप किसी अन्य राज्य द्वारा किसी राज्य के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है।'
2014 में, पुतिन ने एक अन्य क्षेत्र क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था, जहां रूसी सैनिकों को तत्कालीन युद्ध में यूक्रेनी सेना के लगभग किसी भी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। फरवरी में रूस ने पश्चिमी समर्थक यूक्रेनी सरकार को गिराने के लिए पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था, लेकिन नए सिरे से तैयार यूक्रेनी सेना ने रूस को आंशिक रूप से रूस को पीछे धकेलना शुरू कर दिया था।
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