
India Afghanistan Pakistan Tensions: भारत और अफ़ग़ानिस्तान के हालिया संयुक्त बयान ने पाकिस्तान के कानों में जैसे आग लगा दी हो। पाकिस्तान ने न केवल बयान पर आपत्ति जताई, बल्कि कश्मीर को भारत का हिस्सा बताए जाने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और जम्मू-कश्मीर की कानूनी स्थिति का उल्लंघन है।
बयान में यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं के प्रति यह बेहद असंवेदनशील है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बयान में अफ़ग़ानिस्तान का धन्यवाद किया कि उन्होंने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताक़ी ने जोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कभी नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद पूरी तरह से पाकिस्तान की आंतरिक समस्या नहीं है, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान की सीमा के पास सक्रिय तत्वों की जानकारी भी साझा की जाती है।
मुत्ताक़ी ने कहा, “हम बातचीत का दरवाजा खुला रखते हैं। पाकिस्तान को अपनी समस्याओं का समाधान खुद करना चाहिए। अफ़ग़ानिस्तान में 40 साल बाद शांति और प्रगति हुई है।” यह बयान पाकिस्तान के लिए कड़ा संदेश है, लेकिन साथ ही यह एक संकेत भी है कि राजनयिक रास्ता अभी भी मौजूद है। उनका मानना है कि पाकिस्तान को अपनी समस्या का समाधान खुद करना चाहिए।
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह पहली बार था कि अमीर खान मुत्ताक़ी ने भारत का दौरा किया। नई दिल्ली में जयशंकर के साथ हुई बातचीत में क्षेत्रीय शांति, आतंकवाद के खिलाफ कदम और द्विपक्षीय सहयोग जैसे मुद्दे शामिल थे।
विश्लेषकों का कहना है कि कूटनीतिक बातचीत के बावजूद पाकिस्तान ने बयान के कुछ हिस्सों पर तीखा विरोध दर्ज किया, जो भविष्य में क्षेत्रीय विवादों के लिए संकेत हो सकता है। पाकिस्तान ने कश्मीर को भारत का हिस्सा बताने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कानूनी स्थिति का उल्लंघन है। पाकिस्तान ने इसे अफ़ग़ान और भारत की संवेदनशीलता के खिलाफ बताया।
पाकिस्तान का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। वहीं अफ़ग़ानिस्तान यह दावा करता है कि वे किसी भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं हैं। इस पर सवाल उठता है:
पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान के बयान पर कड़ा विरोध जताया और इस्लामाबाद में अफ़ग़ान नेताओं की टिप्पणियों को चुनौती दी। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और आतंकवाद के आरोपों ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है।
हालांकि दोनों देशों ने बातचीत का दरवाज़ा खुला रखा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि कश्मीर, आतंकवाद और सुरक्षा जैसी संवेदनशील मसलों पर मतभेद अभी भी गहरे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कूटनीतिक प्रयास और खुला संवाद ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है।
हाल के विस्फोटों और आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की, जबकि मुत्ताक़ी ने कहा कि अफ़ग़ान धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए कभी नहीं किया जाएगा। दोनों देशों के बीच सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर अब भी मतभेद गहराते जा रहे हैं।
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