अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट हुए देश, जानिए क्या है मामला?

भारत और कई अन्य देशों ने बुधवार(16 नवंबर) को काबुल में ‘सच्ची समावेशी-truly inclusive' सरकार बनाने और अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद के खात्मे का आह्वान किया। बैठक में आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की।

नई दिल्ली. भारत और कई अन्य देशों ने बुधवार(16 नवंबर) को काबुल में ‘सच्ची समावेशी-truly inclusive' सरकार बनाने और अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद के खात्मे का आह्वान किया। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वार्ता के मास्को प्रारूप के ढांचे(Moscow format of consultations) के तहत चौथी बैठक में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रतिभागियों ने वाशिंगटन द्वारा अफगानिस्तान की संपत्तियों को पूरी तरह से मुक्त करने की एकजुट होकर मांग की। कतर, यूएई, सऊदी अरब और तुर्की के प्रतिनिधि भी बैठक में अतिथि के रूप में मौजूद थे।


रूसी विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है,"बैठक में अमेरिका और अन्य उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) देशों (जो अफगानिस्तान में 20 साल की लंबी सैन्य उपस्थिति का हिस्सा थे) से दृढ़ता से आग्रह किया गया इस अवधि के दौरान हुए नुकसान के लिए अफगानों को मुआवजा दिया जाए।" रूसी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि बैठक में काबुल को सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ और अधिक स्पष्ट कदम उठाने और दृढ़ता से लड़ने, उन्हें जड़ से नष्ट करने के लिए कहा गया, ताकि यह पुख्ता किया जा सके कि अफगानिस्तान फिर कभी आतंकवाद के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड, सुरक्षित स्थल और प्रसार का स्रोत न बन सके। बैठक में प्रतिभागियों ने इस मुद्दे पर अफगानिस्तान की सहायता करने की अपनी तत्परता को फिर से दुहराया।

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बैठक में मौजूद देशों ने एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सहित पब्लिक प्लेस पर निर्दोष अफगान नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमलों और हाल ही में काबुल में रूसी दूतावास(Russian embassy) पर हुए हमले की कड़ी निंदा की। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन देशों ने अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्र में मौजूदा घटनाक्रम पर चर्चा की।
उन्होंने अफगानिस्तान में वास्तव में समावेशी सरकार(truly inclusive government-यानी सबके सहयोग से) बनाने के महत्व पर जोर दिया, जो प्रमुख जातीय-राजनीतिक समूहों के हितों और उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवादी, नशीली दवाओं और अन्य खतरों को हटाने की जरूरतों पर फोकस करेगी।"

संयुक्त बयान में कहा गया है कि बैठक में मौजूद देशों ने फसल प्रतिस्थापन कार्यक्रम( developing crop substitution programmes) विकसित करने और नशीले पदार्थों के उत्पादन और तस्करी पर नकेल कसने में अफगान अधिकारियों को मदद करने का भरोसा दिलाया। बैठक में चिंता जताई गई कि अफगानिस्तान में आर्थिक मंदी से शरणार्थियों का एक बड़े पैमाने पर पलायन होगा, उग्रवाद, आतंकवाद और अस्थिरता को बढ़ावा मिलेगा, अफगानिस्तान के आसपास पलायन की स्थिति में वृद्धि होगी, जो पड़ोसी देशों में शांति और स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने बैठक के दौरान अमेरिका और उसके सहयोगियों की अवैध कार्रवाइयों(सैन्य कार्रवाइयों) के कारण अफगानिस्तान में नागरिकों की मौतों पर अपनी 'व्हाइट बुक' प्रस्तुत की। इसमें कहा गया है, प्रतिभागी अंतर-अफगान राष्ट्रीय सुलह(nter-Afghan national reconciliation) को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय प्रयासों का समन्वय जारी रखने और अफगानिस्तान और अन्य कुशल तंत्रों पर मास्को परामर्श प्रारूप के तहत में क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने पर सहमत हुए।

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