भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत! अमेरिका ने चाबहार पोर्ट पर दी 6 महीने की छूट

Published : Oct 30, 2025, 03:52 PM ISTUpdated : Oct 30, 2025, 04:10 PM IST
india iran chabahar port

सार

India Iran Port Deal: भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर लगे अपने सैंक्शन से भारत को 6 महीने की छूट दे दी है। यह बंदरगाह भारत के लिए मध्य एशिया तक पहुंचने का सबसे अहम रास्ता माना जाता है।

India Chabahar Port US Sanctions: भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत की खबर आ रही है। अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर अपने सैंक्शन (प्रतिबंध) से भारत को 6 महीने की छूट दे दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अब इस बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। भारत ने पिछले साल ही ईरान के साथ इस पोर्ट को लेकर 10 साल का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। इस समझौते के तहत, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने करीब 370 मिलियन डॉलर (लगभग ₹3,100 करोड़) का निवेश करने का वादा किया था।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए इतना अहम क्यों?

चाबहार पोर्ट, ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है और यह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है। यह बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट (जहां चीन का निवेश है) के पास स्थित है और भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक बिना पाकिस्तान से गुजरे पहुंचने का रास्ता देता है। यानी चाबहार भारत की भू-राजनीतिक (Geopolitical) रणनीति का हिस्सा है, जिससे भारत न सिर्फ अपने व्यापारिक हित मजबूत करता है, बल्कि चीन-पाकिस्तान की 'CPEC' नीति का जवाब भी देता है।

अमेरिका का रुख क्यों बदला?

अमेरिका और भारत के बीच बीते कुछ महीनों से बड़ी ट्रेड डील पर बातचीत चल रही है। इसी बीच भारत ने साफ किया था कि चाबहार उसके लिए सिर्फ एक बंदरगाह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित का मुद्दा है। MEA के प्रवक्ता ने बताया, 'हम अमेरिका के साथ लगातार बातचीत में हैं, ताकि दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार समझौते को जल्द फाइनल किया जा सके। चाबहार पर अमेरिकी सैंक्शन का असर भारत पर नहीं पड़ेगा।'

पहले भी मिल चुका है छूट का फायदा

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत को ऐसी राहत दी है। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने भी भारत को चाबहार पोर्ट के डेवलपमेंट की परमिशन दी थी, जब बाकी दुनिया में ईरान पर भारी प्रतिबंध लगाए गए थे। उस समय भी वाशिंगटन ने माना था कि चाबहार का इस्तेमाल अफगानिस्तान में स्थिरता और व्यापारिक गतिविधियों को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है, जो अमेरिका के हित में भी था।

ईरान पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Programme) को लेकर नए प्रतिबंध लगाए थे। इसी दौरान भारत के चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर असमंजस था कि क्या ये सैंक्शन इस निवेश पर भी लागू होंगे। लेकिन अब अमेरिका ने साफ कर दिया है कि भारत की चाबहार डील पर यह सैंक्शन लागू नहीं होंगे, जिससे भारत को राहत की सांस मिली है।

रूस पर भी नज़र

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत रूसी ऑयल कंपनियों पर लगे नए अमेरिकी प्रतिबंधों का विश्लेषण कर रहा है।'हम ग्लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिति को ध्यान में रखकर ही अपने फैसले लेते हैं। भारत की प्राथमिकता1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।'

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