रूस ने परमाणु-संचालित अंडरवॉटर ड्रोन ‘पोसाइडन’ का सफल परीक्षण किया है, जो परमाणु हमले में सक्षम है। पुतिन के अनुसार यह ‘सरमट’ से भी ताकतवर है। यह कदम अमेरिका की आलोचना के जवाब में रूस के शक्ति प्रदर्शन को बताता है।
Nuclear Drone Posieden: रूस अपनी ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल बुरेवस्तनिक-9M739 के सफल परीक्षण के बाद अब पुतिन ने एक और न्यूक्लियर वेपन 'पोसाइडन' टॉरपीडो की कामयाब टेस्टिंग की है। ये टॉरपीडो समंदर के भीतर पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकेगी। यह समुद्र में इतनी ज्यादा रेडियोएक्टिव वेव्स पैदा करती है, जिससे तटीय इलाकों में बसे शहरों में तबाही मच सकती है।
रूस की सबसे ज्यादा ताकतवर मिसाइल 'सरमट' से भी ज्यादा खतरनाक
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पोसाइडन टॉरपीडो रूस की सबसे ताकतवर मिसाइल सरमट से भी कहीं ज्यादा पावरफुल है। उन्होंने ये भी बताया कि दुनिया में अभी तक इससे घातक हथियार नहीं है।
ट्रंप की अनदेखी कर रूस ने दिया अमेरिका को करारा जवाब
बता दें कि रूस ने इस खतरनाक वेपंस का परीक्षण ऐसे समय में किया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुरवेस्तनिक मिसाइल की टेस्टिंग को लेकर रूस की खुलेतौर पर आलोचना की है। ट्रंप ने रूस से यूक्रेन युद्ध को सुलझाने पर फोकस करने का आग्रह किया है। उन्होंने एक बयान में कहा था कि जिस युद्ध को हफ्तेभर में खत्म हो जाना चाहिए था, वो अब चौथे साल में पहुंचने वाला है।
न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम
बता दें कि पोसाइडन न सिर्फ न्यूक्लियर एनर्जी से चलने वाली टॉरपीडो है, बल्कि ये परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। इसके भीतर अपनी खुद की न्यूक्लियर फ्यूल यूनिट है। मतलब इसे अलग से ईंधन भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पुतिन ने इशारों-इशारों में अमेरिका को चेतावनी देते हुए साफ कहा है कि इस अंडरवॉटर ड्रोन को रोकने का कोई तरीका नहीं है।
हफ्तेभर में रूस ने किया दूसरा परीक्षण
बता दें कि इससे पहले रूस ने 21 अक्टूबर को अनलिमिटेड रेंज वाली बुरवेस्तनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी रेंज 14000 किलोमीटर से भी ज्यादा है। यानी रूस की इस मिसाइल की रेंज से दुनिया का कोई हिस्सा नहीं बच सकता। वहीं, अब अंडरवॉटर ड्रोन पोसाइडन की सफल टेस्टिंग कर रूस ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया है। रूस इन परीक्षणों से अमेरिका को बताना चाहता है कि वो उसके किसी भी तरह के दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
