
India-US Defense Deal 2025: भारत और अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 10 साल का नया रक्षा ढांचा (Defense Framework Agreement) साइन किया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाएगा। इस डील का मकसद है-जमीन, समुद्र, हवा, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस जैसे सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव और टैरिफ विवाद के संकेत मिल रहे हैं। इसके बावजूद दोनों देशों ने दिखाया है कि सुरक्षा और रणनीतिक रिश्ते उनके लिए सबसे ज़्यादा प्राथमिकता हैं।
इस समझौते पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ ने कुआलालंपुर में आसियान बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए। यह नया फ्रेमवर्क 2015 के पुराने रक्षा समझौते की जगह लेगा और आने वाले दशक के लिए सहयोग की दिशा तय करेगा।
सरल शब्दों में कहें तो यह डील रक्षा सहयोग को “एकीकृत नीति और साझा रणनीति” में बदल देगी। इसका मतलब है कि दोनों देश अब सुरक्षा, टेक्नोलॉजी, और रक्षा उद्योगों में मिलकर काम करेंगे ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
यह सवाल अब सबसे अहम है क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों इस बात से चिंतित हैं कि चीन दक्षिण चीन सागर और ताइवान के आसपास अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। यही वजह है कि यह रक्षा ढांचा सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत (Strategic Signal) भी है कि भारत और अमेरिका अब मिलकर एक स्वतंत्र, खुला और सुरक्षित Indo-Pacific सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्री हेगसेथ ने भी कहा कि अमेरिका संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन अपने हितों की रक्षा करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। वहीं, राजनाथ सिंह ने कहा कि यह समझौता “भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को एक नए युग में लेकर जाएगा।”
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