इकोनॉमिक रिस्क कम करने में भारत सेतु की भूमिका निभा सकता है, जो दुनिया की टेंशन दूर करेगा

जयशंकर ने बुधवार को अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन की अपनी चार दिवसीय आफिसियल विजिट के समापन पर भारतीय पत्रकारों के एक ग्रुप से बातचीत में कहा कि हमारे संबंध आज दुनिया के बाकी हिस्सों को प्रभावित करते हैं, निश्चित रूप से हिंद-प्रशांत को प्रभावित करते हैं।

वर्ल्ड न्यूज. विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और अमेरिका के बीच केवल द्विपक्षीय लाभ के लिए समर्पित एक संकीर्ण संबंध नहीं है, बल्कि बाकी दुनिया को प्रभावित करने वाला संबंध है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने माना है कि यह एक महान क्षमता और संभावना का रिश्ता है और अभी भी इसके बढ़ने की बहुत गुंजाइश है। जयशंकर ने बुधवार को अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन की अपनी चार दिवसीय आफिसियल विजिट के समापन पर भारतीय पत्रकारों के एक ग्रुप से बातचीत में कहा कि हमारे संबंध आज दुनिया के बाकी हिस्सों को प्रभावित करते हैं, निश्चित रूप से हिंद-प्रशांत को प्रभावित करते हैं। (वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात करते एस जयशंकर))

जयशंकर ने 100 से अधिक बैठकें कीं
रविवार को डायस्पोरा(diaspora-अमेरिका में रहने वाले भारतीय) के साथ बातचीत के अलावा जयशंकर ने इन चार दिनों में अपने अमेरिकी समकक्ष सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकन, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और सीनेटर मार्क वार्नर और कांग्रेसी अमी बेरा सहित पांच सांसदों से मुलाकात की। 

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जयशंकर ने अमेरिकी कारोबारी समुदाय(American business community) के साथ भी बैठक की। जयशंकर ने अपनी इस विजिट को कम्फर्टेबल बताते हुए कहा कि इस दौरान उनकी अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से देश हैं, जो व्यक्तिगत रूप से या द्विपक्षीय रूप से हमसे उम्मीद रखते हैं, बेहतरी का कुछ हिस्सा, जिसकी वे आशा करते हैं, ऐसे समाधान जिनकी दुनिया कई मायनों में तलाश कर रही है।

जयशंकर ने कहा कि कुल मिलाकर भारत-अमेरिका संबंध अच्छी स्थिति में हैं। यदि आप देखें, तो हमारा व्यापार अच्छा चल रहा है, हमारे राजनीतिक आदान-प्रदान बहुत मजबूत रहे हैं। वीजा पर कुछ प्रक्रिया के मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन लोगों की आवाजाही को देखें तो ये फिर से एक लंबे टाइम फ्रेम में हैं। काफी सकारात्मक हैं। इसलिए, वास्तव में बहुत कुछ है जिसे हम देख सकते हैं और इसका श्रेय खुद को दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने बड़े पैमाने पर अमेरिकी वीजा बैकलॉग के मुद्दे बात रखने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को अपनी मदद की पेशकश की है। उम्मीद है कि चीजें जल्द ही सुधर जाएंगी। बता दें कि जयशंकर ने मंगलवार को सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ब्लिंकेन के साथ बैठक के दौरान अमेरिकी वीजा नियुक्तियों में बैकलॉग का मुद्दा उठाया था।

उन्होंने कहा कि COVID-19 और यूक्रेन संघर्ष के कारण विश्व अर्थव्यवस्था पहले से ही बहुत तनाव में थी, और इसके नतीजों ने इसमें इजाफा किया है। आज, हमारे सहित कई देशों के लिए, बहुत अधिक ऊर्जा लागत, स्पष्ट चिंता का एक स्रोत है। हम खाने-पीने की चीजों में महंगाई देख रहे हैं।

भारत निराश और चिंतित दुनिया में अर्थव्यवस्था के जोखिम कम करने में मदद कर सकता है
विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar ) ने कहा है कि जब दुनिया में आशावादी तस्वीर( optimistic picture) नहीं है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है, ऐसे समय में भारत अर्थव्यवस्था के जोखिम को करने और स्थिरता की दिशा में एक सेतु की भूमिका( India can play a stabilising and a bridging role) निभा सकता है। जयशंकर ने कहा कि भारत पॉलिटिकल टर्म्स में ग्लोबल इकोनॉमी के जोखिम को कम करने में योगदान दे सकता है और दुनिया को विध्रुवित(depolarise-दुनिया का धुव्रीकरण यानी गुटबाजी कम करना) करने में मदद कर सकता है। जयशंकर ने बुधवार को अमेरिका के वाशिंगटन में एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कहा- ईमानदारी से कहूंगा कि दुनिया में एक आशावादी तस्वीर नहीं दिख रही है। मुझे लगता है कि हमारे पास एक बहुत ही चिंतित अंतरराष्ट्रीय समुदाय(very worried international community) है।

(UNGA summit के दौरान विश्व नेताओं के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर)

बहुत कठिन स्थिति है
जयशंकर ने कहा-भारत के लिए यह अवसरों से कहीं अधिक हैं, क्योंकि यह बहुत कठिन स्थिति है। मुझे लगता है कि यह ऐसा योगदान हैं, जो भारत कर सकता है। मुझे लगता है कि आज हमारे पास एक स्थिर भूमिका है। हमारी एक ब्रिजिंग भूमिका है। हमारी डिप्लोमेटिक भूमिका है। हमें वास्तव में आर्थिक दृष्टि से देखना होगा कि हम ग्लोबल इकोनॉमी के जोखिम को कम करने में कैसे योगदान दे सकते हैं?

जयशंकर ने कहा-मुझे लगता है कि वास्तव में ये वे अपेक्षाएं हैं, जो बहुत से अन्य देशों, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों ने हमसे की हैं। जाहिर है, हम कोशिश करेंगे और जो कर सकते हैं वह करेंगे। हम दुनिया के सभी निचले देशों( bottom countries of the world) के संपर्क में रहेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र(UN General Assembly) में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क की अपनी हाल ही में यात्रा के दौरान जयशंकर ने दुनिया भर के विश्व नेताओं और उनके समकक्षों के साथ लगभग 100 बैठकें कीं। इन बैठकों के बाद जयशंकर ने कहा- इस बार इतनी सारी बैठकें होने का एक कारण यह भी है। सच कहूं तो बैठकों की काफी मांग थी। देश हमसे बात करना चाहते थे, क्योंकि ऐसी धारणा है कि हम की प्लेयर्स के संपर्क में हैं, हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं, हम सोच को आकार दे सकते हैं, हम योगदान कर सकते हैं, हम तैयार हैं, कभी-कभी ऐसी बातें कहने के लिए जो कई अन्य नहीं देख सकते हैं। 

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