
वॉशिंगटन: कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन फ्रांसिस्को मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने नई खोज की है। उन्होंने एक अध्ययन में पाया कि कैंसर कोशिकाएं दिमाग की स्वस्थ कोशिकाओं के संपर्क में आकर एक्टिव हो जाती हैं और इससे मरीज को काफी नुकसान होता है। इतना ही नहीं कई बार इससे मरीज की मौत भी हो जाती है। इस अध्ययन से कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर के इलाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।
भारतीय वैज्ञानिक सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल ने यह भी पता लगाया कि दिमाग से जुड़े डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा ट्यूमर सेल की एक्टिविटी को कम करने और उनको बढ़ने से रोक सकते हैं।
ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद
साइंस मैग्जीन ‘नेचर’ में पब्लिश हुई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि स्वस्थ कोशिकाओं और कैंसरयुक्त कोशिकाओं के बीच संपर्क को रोकने के लिए ट्यूमर सेल्स को बदला जा सकता है।अध्ययन में कहा गया है कि ये नतीजे ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। बता दें कि ग्लियोब्लास्टोमा ब्रेन कैंसर का सबसे घातक प्रकार माना जाता है।
टिश्यू की संरचना में कर सकती है बदलाव
केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली कृष्णा ने मीडियासे बातचीत में कहा कि ये अप्रत्याशित नतीजे दिखाते हैं कि जानलेवा कैंसर कोशिकाएं दिमाग के आसपास के टिश्यू की संरचना में ऐसा बदलाव कर सकती हैं जिससे वे बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके ज्यादा एक्टिव हो जाने से मरीज को बेहद नुकसान होता है और उसकी मौत तक हो सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह खोज ग्लियोब्लास्टोमा जैसी बहुत सी घातक बीमारियों का इलाज की खोजने में मददगार साबित हो सकती है।
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