
Chinese Submarine: पिछले साल मार्च में बांग्लादेश के पेकुआ में पनडुब्बी अड्डे का उद्घाटन किया गया। इसे तैयार करने में 1 अरब डॉलर (8768 करोड़ रुपए) से ज्यादा की लागत आई। इस अत्याधुनिक सुविधा का निर्माण चीन द्वारा दी गई दो पनडुब्बियों को रखने और उनके रखरखाव के लिए किया गया था। हालांकि साल के ज्यादातर समय टाइप-035G मिंग-क्लास की ये पनडुब्बियां किनारे पर खड़ी रहीं।
दोनों सबमरीन बांग्लादेश को 2016 और 2017 में मिली थी। बांग्लादेश को चीन से सबमरीन खरीदना महंगा पड़ा। वह इसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। उसे महंगी कीमत पर पुराने सबमरीन दिए गए। इनका रखरखाव खर्चीला है और अत्याधुनिक तकनीक से कोसों दूर हैं।
चीन ने पुरानी पनडुब्बी को फिर से पेंट कर, नया दिखने वाला बनाया और उसे बांग्लादेश को बेच दिया। चीनी मिंग-क्लास सबमरीन सोवियत रूस के रोमियो-क्लास पनडुब्बी के डिजाइन की कॉपी है। इसे पहली बार 1970 के दशक में लॉन्च किया गया था।
बांग्लादेश को टाइप-035जी वर्जन की पनडुब्बी दी गई। यह पुरानी पनडुब्बी है, जिसे मरम्मत कर नए जैसा बनाया गया। इसमें AIP (Air Independent Propulsion) नहीं था। इसके साथ ही सोनार और लड़ाई से जुड़े सिस्टम पुराने थे। इस पनडुब्बी का इस्तेमाल बुनियादी ट्रेनिंग और तटीय रक्षा के लिए हो सकता है, लेकिन खुले समुद्र और विवादित क्षेत्र में गश्त के लिए नहीं। यह इतना ज्यादा शोर करता है कि आसानी से पकड़ में आ जाए।
बांग्लादेश की नौसेना ने पनडुब्बियों को अपनी सैन्य संरचना में शामिल करने के प्रयास किए हैं, लेकिन इनकी उपलब्धता सीमित रही है। चालक दल को लंबी ट्रेनिंग की जरूरत होती है। इसके पुरानी मशीनों को रखरखाव भी ज्यादा चाहिए।
चीन ने म्यांमार को भी ठगा है। उसे दिसंबर 2021 में ऐसी ही मिंग-श्रेणी की पनडुब्बी दी। पिछले साल म्यांमार को एक पूर्व भारतीय किलो क्लास की पनडुब्बी मिली। इससे उसकी नौसेना को समुद्री अभियानों का पहला अनुभव मिला। म्यांमार की नौसेना भी चीन से मिली सबमरीन का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। इसे घरेलू जलक्षेत्र के पास कम समय के गश्त के लिए लगाया जाता है। रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि आधुनिक एंटी सबमरीन फोर्स के लिए मिंग की आवाज का पता लगाना आसान है। इसके चलते अधिक जोखिम वाले इलाके में इसका छिपा रहना और बचना बहुत मुश्किल है।
बांग्लादेश और म्यांमार को किए गए पनडुब्बी निर्यात से चीन की चालबाजी पकड़ी गई है। चीन कम आर्थिक क्षमता वाले देशों को अक्सर पुराने डिजाइन वाली पनडुब्बी निर्यात करता है। इन्हें नया नहीं बनाया जाता, बल्कि पहले से इस्तेमाल हो रही पनडुब्बी को मरम्मत और पेंट कर सप्लाई कर दिया जाता है। इसमें आधुनिक सेंसर और हथियार नहीं होते। दूसरी ओर चीन अपने सबमरीन बेड़ा का लगातार विस्तार कर रहा है।
पुराने सबमरीन बेचने के चीन के रिकॉर्ड से पाकिस्तान की नौसेना के भी प्रभावित होने की संभावना है। पाकिस्तान चीनी से युआन क्लास की 8 सबमरीन खरीद रहा है। इनमें से चार चीन में और चार पाकिस्तान में बनाए जाएंगे। मिंग पनडुब्बी के विपरीत, युआन आधुनिक है। इसमें AIP लगा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि निर्यात वर्जन के चीनी नौसेना में मौजूद पनडुब्बी से अलग होने की उम्मीद है।
थाईलैंड के हालिया अनुभव ने पनडुब्बी के प्रमुख हिस्सों के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं। जर्मनी ने MTU डीजल इंजन की सप्लाई करने से इनकार कर दिया। इसके चलते थाईलैंड का सिंगल S26T युआन पनडुब्बी ऑर्डर कई वर्षों तक रुका रहा। बाद में उसे चीन के CHD-620 पावरप्लांट पर स्विच करना पड़ा।
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