भारत को धमकी देने वाले पाकिस्तान की फिर हुई हालत खराब, डगमगाती दिखी देश की अर्थव्यवस्था

Published : Aug 13, 2025, 01:24 PM IST
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सार

Pakistan Economic Crisis:  पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गहराती जा रही है। व्यापार घाटा आयात में बढ़त देखने को मिल रही है, जोकि 44 प्रतिशत तक पहुंच गया है। ऐसे में अपने देश की इस कमजोरी को छिपाने के लिए पाकिस्तान के मंत्री तरह-तरह के बयान दे रहे हैं।

Pakistan Trade Deficit: भारत को गीदड़ भभकी देने वाला पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक सकंट से गुजरता हुआ दिखाई दे रहा है। व्यापार घाटा आयात में तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है, जोकि 44 प्रतिशत तक पहुंच गई है। पाकिस्तान की पहले से ही आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा कमजोर है। इसके बाद अब ये नई परेशानी पाकिस्तान के लिए खड़ी होती नजर आ रही है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर आए इस संकट को योजना मंत्री अहसान इकबाल ने अस्थायी गिरावट करार दिया है। उनका कहना है कि कच्चा माल इस वक्त ज्यादा आयात हो रहा है, जिसके चलते निर्यात बढ़ेगा और घाटा कम हो जाएगा।

पाकिस्तानी सरकार की पहली मासिक विकास रिपोर्ट के लॉन्च पर इकबाल ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के निर्यातक अमेरिकी टैरिफ दरों से लाभ उठा सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब वे इंटरनेशनल बाजारों में प्रवेश करने में कामयाब हों, जो अभी भी तय नहीं है। पाकिस्तान के घाटे में हुई वृद्धि ने जुलाई में व्यापार अंतर को बढ़ाकर 2.7 अरब डॉलर कर दिया, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक है। पाकिस्तान को ये घाटा उस वक्त हुआ जब सरकार ने आईएमएप और वर्ल्ड बैंक की शर्तों के मुताबिक आयात पर लगने वाले टैक्स कम कर दिए।

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पाकिस्तान के नुकसान को छिपाने की कोशिश में लगे अधिकारी

पाकिस्तान के अधिकारियों द्वारा आयात के अचानक से बढ़ने की वजह समझाने की कोशिश की गई है। उनके मुताबिक पहले कंपनियां माल आयात करने से पहले सोच रही थी क्योंकि उस वक्त टैक्स ज्यादा था। नए वित्त वर्ष में जब टैक्स घटा तो उन्होंने ज्यादा सामान आयात कर लिया, जिसके चलते आयात में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। इकबाल की तरफ से इस बात का दावा किया गया है कि जुलाई के महीने में निर्यात में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसके चलते आर्थिक स्थितियों में सुधार हुआ है। इन सबके बीच पाकिस्तान के लिए, जुलाई में निर्यात 2.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 16.9 प्रतिशत की वृद्धि है, जबकि प्रेषण 7.4 प्रतिशत बढ़कर 3.2 अरब डॉलर हो गया। पाकिस्तान सरकार इसका क्रेडिट बाहरी देशों से मिल रही ताकत को देती है।

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