जाधव मामलाः क्या है वियना संधि, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान को लगाई फटकार

अंतरराष्ट्रीय  न्यायालय ने कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान को फटकार लगाई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रेसिडेंट अब्दुलाकावी यूसुफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि पाकिस्तान ने कुलभुषण जाधव के मामले में वियना संधि का उल्लंघन किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 31, 2019 12:01 PM IST / Updated: Oct 31 2019, 06:00 PM IST

संयुक्त राष्ट्र. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान को फटकार लगाई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रेसिडेंट अब्दुलाकावी यूसुफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि पाकिस्तान ने कुलभुषण जाधव के मामले में वियना संधि का उल्लंघन किया है। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए यूसुफ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपनी जांच में पाया है कि पाकिस्तान ने विएना संधि के आर्टिककल 36 का उल्लंघन किया है। 

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कहा कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई है, जो कि वियना संधि का उल्लंघन है। पाकिस्तान को इस मामले में फिर से सुनवाई करनी चाहिए और सजा पर भी पुनर्विचार की जरूरत है। पाकिस्तान ने भारत के एक रिटायर्ड नेवी ऑफिसर को अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुना दी थी। भारत ने पाकिस्तान के इस फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी और पाकिस्तान से कहा था कि वह भारत को जाधव से कंसुलर ऐक्सेस करने दे। साथ ही न्यायालय ने पाकिस्तान को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश भी दिया है।

कंसुलर एक्सेस न देने पर मांगा जवाब
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान से कहा कि वियना संधि के तहत दूसरे देश के किसी भी कैदी से उसकी बातचीत कराना जरूरी है। यह कैदी के अधिकारों के अंदर आता हैं। पाकिस्तान ने जाधव से भारतीय राजनेताओं की बात कराने से मना कर दिया था। कोर्ट ने इसे वियना संधि का उल्लंघन बताया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पाकिस्तान भारत को जाधव तक कंसुलर एक्सेस दे और जाधव को सुनाए गई फांसी की सजा पर फिर से विचार करे। 

क्या है वियना संधि ?
1961 में आजाद और संप्रभु देशों ने आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर एक संधि की थी, जिसे वियना कन्वेंशन कहते हैं। इसके तहत राजनयिकों को कई विशेष अधिकार दिए गए थे। इस संधि के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ के नास से जाना जाता है। 1964 में लागू हुई इस संधि में कई तरह के प्रावधान थे। संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है और न ही दूसरे देश के राजनायिकों पर कस्टम टैक्स लगा सकता है। भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने कुलभूषण जाधव का मामला वियना संधि के तहत ही उठाया है। भारत पर भी इटली के नौसैनिकों को गिरफ्तार करने का मामला इसी संधि के तहत चला था। 

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