ईरान में महिलाओं के आगे झुकी सरकार, मॉरल पुलिस को किया खत्म

ईरान की राजधानी तेहरान में हिजाब न पहनने की वजह से 20 साल की महसा अमीनी को पुलिस ने हिरासत में लिया था। 13 सितंबर, 2022 से पुलिसिया हिरासत में रही महसा की संदिग्ध परिस्थितियों में 16 सितंबर को मौत हो गई। पुलिस कस्टडी में प्रताड़ना की वजह से महसा की मौत ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया।

Iran Hijab Row: ईरान ने महिलाओं पर सख्ती से हिजाब की अनिवार्यता थोपने के लिए बनाई गई मॉरल पुलिस यूनिट को खत्म कर दिया है। देश में महिलाओं पर सख्त ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन के आरोप में महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देश-दुनिया में भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद ईरान सरकार को झुकना पड़ा। हालांकि, महसा अमिनी के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान 300 से अधिक लोग पुलिसिया दमन के दौरान मारे जा चुके हैं। अब दो महीने के आंदोलन के बाद ईरान सरकार ने अपनी मॉरल पुलिस यूनिट को खत्म कर दिया है। 

ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद व्यापक प्रदर्शन?

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ईरान की राजधानी तेहरान में हिजाब न पहनने की वजह से 20 साल की महसा अमीनी को पुलिस ने हिरासत में लिया था। 13 सितंबर, 2022 से पुलिसिया हिरासत में रही महसा की संदिग्ध परिस्थितियों में 16 सितंबर को मौत हो गई। पुलिस कस्टडी में प्रताड़ना की वजह से महसा की मौत ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद पूरे ईरान सहित दुनिया के विभिन्न मुल्कों में हिजाब और सख्त पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए थे। ईरान में आंदोलन सबसे व्यापक रहा। यहां हिजाब के विरोध में महिलाओं ने खुलकर विरोध किया। हिजाब को हवा में उड़ाए, बाल कटवाकर सार्वजनिक विरोध किया। इस्लामिक देश में यहां की मॉरल पुलिस ने इस विरोध को दबाने के लिए हिंसक रूख अपनाया। यहां के 50 से अधिक शहरों में फैले इस विरोध को दबाने के लिए पुलिस ने बल का प्रयोगा किया। इस हिंसा में 300 से अधिक लोग मारे गए।

1983 से हिजाब अनिवार्य

ईरान में 1979 की क्रांति के चार साल बाद हिजाब अनिवार्य हो गया था। ईरान में हुई क्रांति में अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका और इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की गई थी। हालांकि, बाद में बदलते कपड़ों के मानदंडों के साथ, महिलाओं को तंग जींस और ढीले, रंगीन हेडस्कार्व्स में देखना आम हो गया। लेकिन इस साल जुलाई में अति-रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने सभी राज्य संस्थानों को हेडस्कार्फ़ कानून लागू करने के लिए लामबंद होने का आह्वान किया। इसके बाद महिलाओं पर अत्याचार शुरू हो गया। 

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