ईरान इन दिनों हिजाब विवाद के चलते सुलग रहा है। 16 सितंबर को राजधानी तेहरान में एक 22 साल की लड़की की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद से ही वहां जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।ईरान में हिजाब के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजादी के मुताबिक, सिर्फ अमोल शहर में ही 10 लोग मारे गए हैं।
Iran Hijab Row: ईरान इन दिनों हिजाब विवाद के चलते सुलग रहा है। 16 सितंबर को राजधानी तेहरान में एक 22 साल की लड़की की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद से ही वहां जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी बीच अब न्यूयॉर्क में काम कर रहीं ईरानी मूल की एक टीवी एंकर ने भी हिजाब पहनने से मना कर दिया है। दरअसल, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का इंटरव्यू CNN के साथ होने वाला था। इसके लिए रईसी ने एंकर के सामने एक ऐसी शर्त रख दी, जिसे सुन एंकर ने उसे मानने से ही साफ इनकार कर दिया।
बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी इन दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) की मीटिंग में शामिल होने के लिए इन न्यूयॉर्क में हैं। न्यूज चैनल CNN में एंकर क्रिस्टीन एमनपोर के साथ 21 सितंबर को उनका इंटरव्यू फिक्स हुआ था। लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति इब्राहिम ने एंकर क्रिस्टीन एमनपोर के सामने एक शर्त रख दी।
ईरानी राष्ट्रपति ने रखी ये शर्त :
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने एंकर के सामने शर्त रखी कि वो उनका इंटरव्यू हिजाब पहनकर लें। क्रिस्टीन ने राष्ट्रपति की इस बात से साफ इनकार कर दिया। क्रिस्टीन ने कहा- यहां ऐसा कोई नियम नहीं है। बता दें कि इसके बाद रईसी का इंटरव्यू नहीं हो पाया।
एंकर क्रिस्टीन ने दिया ये जवाब :
CNN में काम करने वाली एंकर क्रिस्टीन एमनपोर ईरानी मूल की हैं। उनकी परवरिश तेहरान में हुई है। क्रिस्टीन ने कहा- जब मैं ईरान में रिपोर्टिंग करती थी तो मुझे वहां के कानून के हिसाब से हिजाब पहनना पड़ता था। लेकिन अब मैं एक ऐसे देश में रह रही हूं, जहां इंटरव्यू के लिए हिजाब पहनने का कोई रूल नहीं है। पिछले 27 सालों में मैंने कई इंटरव्यू लिए, लेकिन किसी ने मुझे हिजाब पहनने के लिए नहीं टोका।
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ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन में अब तक 40 मौतें :
ईरान में हिजाब के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजादी के मुताबिक, सिर्फ अमोल शहर में ही 10 लोग मारे गए हैं। उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी है। बता दें कि ईरान में हिजाब को लेकर हो रही हिंसा की यूएन के अलावा अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने भी आलोचना की है।
क्यों फैली हिंसा?
दरअसल, ईरान पुलिस ने 13 सितंबर को 22 साल की युवती महसा अमिनी को ठीक तरीके से हिजाब न पहनने की वजह से हिरासत में लिया था। तीन दिन बाद 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में ही उसकी मौत हो गई। अमिनी की मौत सिर पर चोट लगने की वजह से हुई। इसके बाद पूरे ईरान में लोग हिजाब को लेकर सड़कों पर उतर आए। महिलाओं ने जगह-जगह हिजाब जलाने के साथ ही अपने बाल काटने शुरू कर दिए।
ईरान में शरिया कानून के चलते कई पाबंदियां :
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद वहां शरिया कानून लागू हो गया। इसके चलते लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं। कट्टर इस्लामिक शरिया कानून के चलते महिलाओं को बाल ढंकने और ढीले-ढाले कपड़े पहनने के लिए मना किया जाता है। ऐसा न करने पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
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क्या कहता है शरिया कानून?
- महिलाएं हिजाब पहनें, इसके लिए वहां की सरकार ने मॉरल पुलिस का गठन किया है। यह पुलिस हिजाब के नियम को लागू करवाने के लिए कई बार लोगों पर बेइंतहा जुल्म करती है।
- ईरान एक इस्लामिक देश है, जहां शरिया कानून लागू है। ईरान में 7 साल से बड़ी लड़की को बिना हिजाब के घर से बाहर निकलने की मनाही है।
- इसके साथ ही लड़कियों को 7 साल के बाद लंबे और ढीले कपड़े पहनने पड़ते हैं। ईरान में कोई लड़की सार्वजनिक तौर पर किसी मर्द से हाथ नहीं मिला सकती है।
- यहां तक कि ईरान की महिलाओं को पुरुष खेलों को देखने के लिए उन्हें स्टेडियम जाने की इजाजत भी नहीं होती।
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