
Israel-Hamas War: इजरायल के शहर बीर याकोव में एक भव्य निर्माण कार्य चल रहा है। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के निर्माण में सैकड़ों लेबर लगे हुए हैं। अचानक से अलार्म बजता है। राजेश कुमार अपने अन्य भारतीय साथियों के साथ जल्दी से काम रोकते हैं और एक सुरक्षित जगह पर सभी एकत्र हो जाते हैं। अलार्म कुछ देर बजने के बाद जब बंद होता है तो सभी फिर से काम पर लौट आते हैं। काम कर रहे मजदूरों में अधिकतर भारतीय हैं।
सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और बूट पहने राजेश अपने काम में अन्य मजदूरों के साथ लग जाते हैं। राजेश कुमार अपने गांव के सैकड़ों साथियों के साथ इजरायल में अभी कुछ ही दिन पहले आए हैं। हालांकि, वहां का माहौल उनको नया नहीं लग रहा क्योंकि उनके आसपास उनके क्षेत्र, प्रदेश के ही अधिकतर मजदूर हैं जो उनकी तरह ही नए हैं।
दरअसल, 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर हमला कर नेस्तनाबूद कर दिया। एक साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध के दौरान इजरायल ने अपने यहां काम करने वाले फिलिस्तीनी कामगारों को काम पर रखना बंद कर दिया। फिलिस्तीनियों को काम देना बंद कर देने से इजरायल में कामगारों का घोर संकट हो गया। ऐसे में वहां लेबर्स की कमी को अब भारत जैसे देशों से पूरा किया जा रहा है।
इजरायल में मजदूरों का संकट पैदा होने की वजह से वहां अन्य देशों के कामगारों की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में भारत के स्किल्ड लेबर्स के लिए इजरायल अब एक बड़ा जॉब डेस्टिनेशन बन रहा है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में हमेशा लेबर्स की अधिकता रही है। सबसे बड़ा संकट यहां स्थायी रोजगार का रहा है। यहां काम की तलाश में लोग गल्फ जाते हैं। लेकिन यही लेबर स्थायी रोजगार की कमी के चलते लोग इजराइल जैसे देशों में काम करने जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इजराइल में यह श्रमिक भारत के मुकाबले तीन गुना अधिक कमा सकते हैं।
इजरायल में लेबर्स की बढ़ी डिमांड के बाद भारत के विभिन्न राज्यों से लेबर्स को भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में यहां के बेरोजगार अपना बेहतर भविष्य बनाने के लिए इजरायल जाने के लिए आवेदन भी किए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दिनों यहां से करीब 16 हजार से अधिक लेबर्स को इजरायल विभिन्न कार्यों के लिए भेजा गया। इसमें निर्माण कार्य के श्रमिकों की संख्या अधिक है। इजरायल में इन श्रमिकों को पगार के अलावा रहने-खाने की सुविधा फ्री है। इजरायल भेजने वाली दिल्ली की एक फर्म की मानें तो उसने अकेले की 3500 से अधिक भारतीयों को वहां लेबर वर्क के लिए भेजा है।
इजराइल के केंद्रीय बैंक के एक रिसर्च एसोसिएट एयाल अर्गोव की मानें तो इजरायल में 30 हजार से अधिक विदेशी लेबर अकेले कंस्ट्रक्शन वर्क में लगे हुए हैं। जबकि यह संख्या हमास से युद्ध शुरू होने के पहले करीब 80 हजार थी। हालांकि, यह 80 हजार की संख्या फिलिस्तीनियों की थी। लेकिन फिलिस्तीनियों को काम से हटाने के बाद अब दूसरे देशों के लेबर्स की मांग बढ़ रही है। रिसर्च के अनुसार, लेबर्स की कमी की वजह से 2024 की आखिरी तिमाही में कंस्ट्रक्शन वर्क में 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। निर्माण कार्य कम होने की वजह से भविष्य में यहां आवासीय व अन्य फैसिलिटीस प्रभावित होंगी। इस वजह से इजरायल को अभी और अधिक संख्या में लेबर्स को इंपोर्ट करना होगा।
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