इजराइल और हमास के बीच युद्ध में अब तक हजारों मौतें हो चुकी हैं। हमास ने इजराइल में घुसकर जो बर्बरता की और जिन लोगों ने उसका सामना किया वह दिल दहलाने वाला है।
Israel Hamas War Ground Report. 7 अक्टूबर 2023 को फिलीस्तीन समर्थित हमास आतंकियों मे इजराइल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया। 1964 में भारत से जाकर इजराइल में बसे अरूण ने बताया कि इस जो हमास ने किया, उसके बारे में हमने कभी नहीं सोचा था। हम उनके साथ शांति से रहना चाहते हैं लेकिन वे हमें धरती से खत्म कर देना चाहते हैं। यह कब तक चलेगा। आइए जानते हैं अरूण ने और क्या-क्या कहा?
हम अब कभी उनके साथ नहीं सकते
अरूण ने बातचीत में कहा कि 'इस बार हमास ने जो किया, वह बहुत गलत और अभूतपूर्व था। उन्होंने निर्दोष नागरिकों का नरसंहार किया। कई महिलाओं को गोली मार दी और बच्चों के सिर काट दिए। वे (हमास) नहीं चाहते कि हमारा अस्तित्व रहे। उन्होंने हजारों लोगों को मार डाला और 3000 से अधिक घायल हो गए। हमास ने महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर लिया है और उन्हें बंधक बना लिया है। मुझे नहीं लगता कि इसराइल इस बार चुप रहेगा। जब सायरन बजने की आवाज आती है तो रॉकेट गिरता है। यह यहां के निवासियों के लिए रोज की बात है। लेकिन बार चीजें अलग हैं।'
हमें पूरी तरह से खत्म कर देना चाहता है हमास
फिलीस्तीन के साथ शांति से रहने के सवाल पर अरूण ने कहा कि 'इजराइल हमेशा से ही शांति से रहना चाहता है। जब यासिर अराफात फिलीस्तीन में थे, तब उन्होंने शांति की पहल की थी। अच्छी बात है लेकिन अब हमास ने जो किया है, इसके बाद तो कोई संभावना ही नहीं है कि हम कभी उनके साथ रह सकते हैं। वे नहीं चाहते कि हम यहां रहें। हमास जो कर रहा है, हम उनके साथ नहीं रह सकते। हमास को खत्म होना ही होगा। इस बार चीजें बहुत आगे बढ़ गई हैं। यहां तक कि अमेरिकी भी हमारे साथ आ गया है।'
सायरन की आवाज से डर लग जाता है
इजराइल के निवासी बन चुके अरूण ने कहा कि 'हमने कई रॉकेट हमले देखे हैं। लेकिन 7 अक्टूबर को हमास ने जितने रॉकेट दागे हैं, हम सो नहीं पा रहे हैं। हम सायरन बजने से सावधान हो जाते हैं। यहां तक कि कार का हॉर्न भी हमें चिंता में डाल देता है।' उन्होंने आगे कहा कि 'हम यह नहीं कह सकते कि 7 अक्टूबर को इजरायल में घुसने वाले सभी आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया है। वे छिपे हुए हो सकते हैं। हम लगातार खतरे में रहते हैं। हम भाग्यशाली थे कि इजरायली रक्षा बल ने हमास को रोक दिया।'
हमास ने बनाया महिलाओं-बच्चों को बंधक
भारतीय मूल के अरूण ने कहा कि 'जिस तरह से हमास ने बच्चों, लड़कियों को मारा है तो इस बार इजराइल नहीं छोड़ने वाला है। हम भी यही चाहते हैं कि हमास को पूरी तरह से यहां से निकाला जाए। हमें हमास और हिज्बुल्ला दोनों नहीं चाहिए। वे हमें नहीं रहने देना चाहते। फिलीस्तीनी भी हमास को सपोर्ट करते हैं।' अरूण ने कहा कि 'अरब और फिलीस्तीनी लोग यहां काम करने आते हैं, पैसा कमाते हैं फिर भी हमसे नफरत करते हैं।'
भारत के बारे में क्या बोले अरूण
अरूण ने कहा कि 'भारत माता हमारी जन्मभूमि है, मां है, हम उसको भूल नहीं सकते, हम हमारी भाषा भूल नहीं सकते। भाषा इसलिए रहनी चाहिए कि हमें याद रहे कि कहां से आाए हैं। हम लोग जाते हैं, दो वर्ष-तीन वर्ष के बाद मुंबई जाते हैं। दिल्ली-चेन्नई सब जगह जाते हैं। मैं यहां भी इंडियन खाना बनाता हूं। मुझे इतनी हिंदी नहीं आती लेकिन हिंदी-मराठी बोलने की कोशिश करता हूं।'
कैसा है इजराइल का सिस्टम
इस पर अरूण ने कहा कि 'दुनियाभर से यहूदी यहां आते हैं तो इजराइल उनकी पूरी मदद करत है। काम मिलता है, मकान मिलता है, इसके लिए पूरी व्यवस्था है, फंड बनाया गया है। बाकी लोग भी यहां आते हैं तो मदद की जाती है। आप देखिए यहां के लोग इतने तकलीफ में हैं फिर भी एक-दूसरे की मदद करते हैं। ऐसा नहीं है कि मैं खाना खा रहा हूं और बगल वाला भूखा रहे। मेरा एक छोटा सा बेकरी है। हम पाव बनाते हैं, केक बनाते हैं और किसी को जरूरत पड़ती है तो हम वैसे ही देते हैं।'
रॉकेट गिरता है तो कैसे बचते हैं लोग
अरूण ने बताया कि 'हम गाजा से 40-50 किलोमीटर दूर हैं। वहां से रॉकेट चलता है तो 3-4 मिनट में यहां गिर जाता है। इससे पहले ही सायरन बजता है और हम अपने घरों में बने बम शेल्टर में चले जाते हैं। यहां लगभग सभी घरों में बम शेल्टर बने हैं। मैं जिस बिल्डिंग में रहता हूं, मेरे बच्चे भी उसी में रहते हैं। सायरन बजता है तो हम सब साथ में बम शेल्टर में चले जाते हैं। रॉकेट गिर जाए तो किसी के बचने का कोई चांस नहीं होता है।' इजराइल के बदला लेने पर अरूण ने कहा 'बात बदले की नहीं है, अगर वे लोग रह गए तो हमें जीने नहीं देंगे, फिर से अटैक करेंगे। छोटे-छोट 3-3 साल के बच्चों को मां के सामने हमास आतंकियों ने जला दिए तो इससे ज्यादा कर कर सकते हैं। वे बचेंगे तो फिर वहीं करेंगे, इसलिए इजराइल इस बार छोड़ेगा नहीं।'
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