
Israel Iran Conflict: इजरायल ने शुक्रवार सुबह ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य नेताओं पर हमला कर दुनिया को चौंका दिया। इसके बाद ईरान ने जवाबी हमला किया। इससे दोनों देशों के बीचे सैन्य टकराव शुरू हो गया है। पूरी दुनिया इस लड़ाई से चिंता में है।
भारत इससे खासतौर पर चिंतित है। लड़ाई बड़ी तो कच्चे तेल की कीमत में उछाल आएगा। इससे भारत में महंगाई बढ़ने का खतरा है। आम आदमी को अपनी जेब से अधिक पैसे देने होंगे। इसका असर दिखने लगा है। बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत शनिवार को 6 डॉलर (516.49 रुपए) से अधिक बढ़कर पांच महीने के उच्चतम स्तर 78 डॉलर (6,714.32 रुपए) प्रति बैरल को पार कर गई।
कच्चे तेल की ऊंची कीमत का मतलब है पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ जाएगी। इससे सामान ढोने में अधिक पैसे लगेंगे। सामानों की कीमत बढ़ जाएगी। आखिरकार आम आदमी को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इससे वैश्विक व्यापार पर खराब असर पड़ने की संभावना है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक तनाव बढ़ने से निकट भविष्य में अस्थिरता आएगी। शुक्रवार को व्यापार में अस्थिरता सूचकांक या VIX में करीब 8% की बढ़ोतरी हुई। S&P ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स में निकट अवधि के तेल विश्लेषण के प्रमुख रिचर्ड जोसविक ने एएनआई से कहा, "यह हमला निकट अवधि में तेल की कीमतों के लिए स्पष्ट रूप से सकारात्मक है। महत्वपूर्ण यह है कि क्या तेल निर्यात प्रभावित होगा। पिछली बार ईरान और इजरायल ने हमला किया था तो कीमतें बढ़ गई थीं, फिर जब यह स्पष्ट हो गया कि लड़ाई नहीं बढ़ रही है और तेल की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो रही तो कीमतें गिर गईं।"
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। ईरान से सीधे तौर पर बड़ी मात्रा में तेल आयात नहीं किया जाता। हालांकि मध्य पूर्व में तनाव से भारत के तेल आयात पर असर पड़ेगा। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि होर्मुज जलडमरूमध्य (जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है) एक महत्वपूर्ण चोक प्वाइंट बना हुआ है। यहां से वैश्विक एलएनजी व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत और कच्चे तेल के निर्यात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गुजरता है। ईरान इस रास्ते को बंद कर सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि होर्मुज जलडमरूमध्य के आसपास किसी भी तरह की बाधा से इराक, सऊदी अरब और यूएई से तेल की खेप प्रभावित हो सकती है। इन देशों से भारत को तेल की बड़ी मात्रा सप्लाई की जाती है। इस रास्ते में बाधा आने से तेल लाने की लागत बढ़ जाएगी। इससे समय के साथ-साथ लागत के मामले में भारत के निर्यात को नुकसान हो सकता है। ईरान ने पहले इस रास्ते को बंद करने की धमकी दी है।
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