ट्रेन में सवार होकर रूस पहुंचे किम जोंग उन, जानें क्यों खास है चलते-फिरते किले जैसी यह रेलगाड़ी
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन अपनी शाही ट्रेन में सवार होकर रूस के व्लादिवोस्तोक पहुंच गए हैं। उनके साथ विदेश मंत्री, हथियार उद्योग के शीर्ष अधिकारी और सेना के अधिकारी भी रूस पहुंचे हैं। किम जोंग की ट्रेन किसी चलते-फिरते किले की तरह है।
Vivek Kumar | Published : Sep 13, 2023 4:04 AM IST / Updated: Sep 13 2023, 09:36 AM IST
50 किलोमीटर प्रति घंटा है ट्रेन की रफ्तार
किम चार साल में पहली बार अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर हैं। उन्हें 1,180 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 20 घंटे लगे। किम विदेश यात्रा के लिए ट्रेन के इस्तेमाल को प्राथमिकता देने के लिए जाने जाते हैं। उनकी ट्रेन चलते फिरते बख्तरबंद महल से कम नहीं है। हरे रंग की यह ट्रेन धीमी गति से चलती है। इसकी रफ्तार लगभग 50 किलोमीटर प्रति घंटा है।
महल की तरह है किम की ट्रेन
किम की ट्रेन आलिशान होने के मामले में किसी महल की तरह है। इसमें किम के लिए बेडरूम, मीटिंग रूम, कॉन्फ्रेंस हॉल और किचेन हैं। ट्रेन में किम को घर जैसा माहौल मिले इसकी खास व्यवस्था की गई है।
ट्रेन में सवार होकर देश चलाते हैं किम
ट्रेन में इंटरनेट से लेकर फैक्स तक संचार की सभी सुविधाएं हैं। किम विदेश यात्रा पर निकलते हैं तो सरकार के मुख्य अधिकारी उनके साथ रहते हैं। ट्रेन में रहते हुए किम देश चलाते हैं। वह अधिकारियों को आदेश देते हैं।
90 डिब्बों वाली है ट्रेन
किम की ट्रेन 90 डिब्बों वाली है। इसमें किम फ्रेंच वाइन से लेकर बॉस्टर बारबेक्यू का आनंद लेते हैं। ट्रेन में किम के साथ बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही ट्रेन के पूरे रूट की भी सुरक्षा की जाती है।
पूरी तरह बुलेटप्रूफ है ट्रेन
ट्रेन में रंग-बिरंगी खिड़कियां हैं ताकि पता नहीं चले कि अंदर कहां कौन यात्री है। ट्रेन के सभी डिब्बे पूरी तरह से बुलेटप्रूफ हैं। इससे ट्रेन का वजन काफी बढ़ जाता है। रूस यात्रा के लिए किम अपनी 20 बुलेटप्रूफ कारों को लेकर आए हैं। इन्हें ट्रेन में रखा गया था।
किम जोंग-उन ट्रेन से यात्रा क्यों करते हैं?
लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा की इस परंपरा का पता किम जोंग उन के दादा किम इल सुंग से लगाया जा सकता है। उन्होंने वियतनाम और पूर्वी यूरोप की अपनी ट्रेन यात्राओं से इसकी शुरुआत की थी। किम जोंग उन के पिता और पूर्ववर्ती किम जोंग इल को उड़ान से डर लगता था। उन्हें 2001 में पुतिन के साथ बैठक के लिए मास्को पहुंचने में 10 दिन लग गए थे।