हफ्तों की लंबी अटकलों और अफवाहों के बाद पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर को नया आर्मी चीफ (COAS) के रूप में चुना है। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी(CJCSC) बनाया गया है।
इस्लामाबाद. हफ्तों की लंबी अटकलों और अफवाहों के बाद प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर( Lt Gen Asim Munir) को नया आर्मी चीफ (COAS) के रूप में चुना है। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा(Lt Gen Sahir Shamshad Mirza) को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी(CJCSC) बनाया गया है। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्विटर पर यह घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संवैधानिक अधिकार(constitutional authority) का प्रयोग करते हुए चुनाव किया। उन्होंने आगे कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
पाकिस्तान में आर्मी चीफ की दौड़ में कई बड़े नाम थे, लेकिन बाजी जनरल मुनीर ने मारी। वैसे बता दें कि जनरल मुनीर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एक बदनाम नाम कहा जाता रहा है। मुनीर जनरल बाजवा की जगह लेंगे। बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। मुनीर पाकिस्तानी सेना के सबसे सीनियर आफिसर हैं। पाकिस्तान के निवृतमान आर्मी चीफ बाजवा के रिटायरमेंट के वक्त लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर ही पाकिस्तानी सेना में सबसे सीनियर अधिकारी हैं। मुनीर 2017 में डीजी मिलिट्री इंटेलिजेंस रह चुके हैं।
मुनीर 2018 में 8 महीने के लिए ISI चीफ भी रहे थे। इस दौरान उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व से जुड़े कई मामले सामने आए, जिनकी वजह से वे खासे बदनाम हुए थे। इमरान खान ने उन्हें ISI चीफ से इसलिए हटा दिया था, क्योंकि उन्होंने अपने आसपास के करप्शन के बारे में बताया था। तत्कालीन पीएम इमरान खान ने इन्हें हटाकर अपने करीबी फैज हमीद को ISI चीफ बना दिया था। वहीं, मुनीर को गुजरांवाला कॉर्प्स कमांडर के तौर पर ट्रांसफर कर दिया था। असीम को 2018 में टू-स्टार जनरल के रैंक पर प्रमोशन मिला था। हालांकि उन्होंने यह पद 2 महीने बाद ज्वाइन किया था। लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर उनका 4 साल का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म होगा।
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी एक इंटर-सर्विसेज फोरम है, जो तीनों सशस्त्र बलों के बीच समन्वय के लिए काम करता है। CJCSC प्रधान मंत्री और नेशनल कमांड अथॉरिटी के प्रिंसिपल मिलिट्री एडवायजर के रूप में भी कार्य करता है। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि इसका एक सारांश(summary) राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को भेजा गया था।
इन दोनों नामों की घोषणा किए जाने के कुछ मिनट बाद मीडिया से बात करते हुए रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इस मामले को कानून और संविधान के अनुसार तय किया गया है। उन्होंने राष्ट्र को 'पॉलिटिकल लेंस' के माध्यम से देखने से परहेज करने का आह्वान किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति नियुक्तियों को विवादास्पद नहीं बनाएंगे और प्रीमियर की सलाह का समर्थन करेंगे। रक्षा मंत्री ने दोहराया कि राष्ट्रपति को प्रीमियर की सलाह का समर्थन करना चाहिए, ताकि कोई विवाद पैदा न हो। इससे हमारे देश और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी मदद मिलेगी। फिलहाल सब कुछ ठप है।
उन्होंने एक ट्वीट में यह कहते हुए कहा कि सलाह राष्ट्रपति को भेज दी गई है। यह अब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक परीक्षा होगी कि वह या तो देश की रक्षा के लिए जिम्मेदार संस्था को मजबूत कर सकते हैं या इसे विवादास्पद बना सकते हैं।
उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रपति अल्वी के लिए भी एक परीक्षा है कि वह राजनीतिक सलाह का पालन करेंगे या संवैधानिक और कानूनी सलाह का। उन्होंने अल्वी के बारे में कहा, "आर्म्ड फोर्स के सुप्रीम कमांडर के रूप में देश को राजनीतिक संघर्षों से बचाना उनका कर्तव्य है।"
इस बीच, PTI के आफिसियल twitter अकाउंट ने इमरान खान के हवाले से कहा कि: "मैं और पाकिस्तान के राष्ट्रपति संविधान और कानूनों के अनुसार कार्य करेंगे।"
निवर्तमान सीओएएस क़मर जावेद बाजवा मूल रूप से 2019 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। हालांकि, उनका कार्यकाल तत्कालीन प्रधान मंत्री इमरान खान द्वारा अगस्त 2019 में तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया था, वो भी उनके सेवानिवृत्त होने से ठीक तीन महीने पहले। उनके एक और विस्तार की अटकलों के बावजू, बाजवा ने कई महीने पहले संकेत दिया था कि वह इस साल सेवानिवृत्त होने की योजना बना रहे हैं।
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