सार
1971 की जंग ( 1971 War) में पाकिस्तान को भारत के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिस हार के चलते पाकिस्तान को अपना आधा हिस्सा गंवाना पड़ा उसे वहां के सेना प्रमुख सैन्य विफलता नहीं मानते। उन्होंने इसके लिए राजनीतिक विफलता को जिम्मेदार बताया है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले वह अपने विदाई समारोह में शामिल हो रहे हैं और भाषण दे रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए जंग को लेकर सफेद झूठ बोला है। बाजवा ने हार के लिए मिलिटरी के बदले राजनीतिक विफलता को जिम्मेदार बताया है।
1971 की जंग से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था। इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार से तंग आकर पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने विद्रोह कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने हत्या और रेप कर सिविल वार कुचलने की कोशिश की। इसके चलते बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत आने लगे थे। स्थिति जब गंभीर हुई तो भारत ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ रहे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के संगठन मुक्ति बाहिनी की मदद की थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हो गई थी।
राजनीतिक विफलता थी गृह युद्ध
जनरल बाजवा ने कहा कि बांग्लादेश में 1971 में हुआ गृह युद्ध 'सैन्य विफलता' नहीं, 'राजनीतिक विफलता' थी। बाजवा ने कहा कि बांग्लादेश में लड़ने वाले सैनिकों की संख्या 92,000 नहीं, बल्कि 34,000 थी। अन्य विभिन्न सरकारी विभागों में थे। इन 34,000 सैनिकों को मुक्ति बाहिनी के 2 लाख सदस्यों और भारतीय सेना के 2.5 लाख जवानों का सामना करना पड़ा।
जनरल बाजवा ने कहा, "भारी बाधाओं के बाद भी हमारी सेना ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया। इसे भारतीय सेना प्रमुख फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने स्वीकार किया है। पाकिस्तान ने अभी तक इन बलिदानों को स्वीकार नहीं किया है। यह बड़ा अन्याय है। मैं इस अवसर का लाभ उठाते हुए शहीदों को नमन करता हूं। वे हमारे हीरो हैं और देश को उन पर गर्व होना चाहिए।"
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93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने किया था सरेंडर
गौरतलब है कि 1971 की जंग को लेकर पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने सफेद झूठ बोला है। भारत से लड़ाई के मैदान में हारने के बाद भी अपने देश के लोगों के बीच सेना की बहादुर वाली छवि बनाने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार झूठ फैलाया जाता है। बाजवा ने कहा है कि बांग्लादेश में पाकिस्तान के 34 हजार सैनिक लड़ रहे थे, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या 93 हजार से अधिक थी। लड़ाई में हारने के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था।
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