Mali में सैन्य शासन ने आम चुनावों को 4 साल के लिए टाला, United Nations ने चिंता जता कहा-लोकतंत्र की हो बहाली

Published : Jan 14, 2022, 01:53 PM IST
Mali में सैन्य शासन ने आम चुनावों को 4 साल के लिए टाला, United Nations ने चिंता जता कहा-लोकतंत्र की हो बहाली

सार

अगस्त 2020 में माली के राष्ट्रपति बाउबकर इब्राहिम कीता को तख्तापलट कर हटा दिया गया था, जिसमें सेना के तत्कालीन कर्नल गोइता भी शामिल थे। पिछले जून में गोइता ने नौ महीने में दूसरी बार तख्तापलट करने के बाद सैन्य सरकार के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।

अकरा। माली के सैन्य शासन ने चुनाव को सन् 2026 तक के लिए टाल दिया है। सैन्य शासन के लोकतंत्र बहाली पर लगाए गए इस ग्रहण पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने चिंता जताई है। United Nations प्रमुख एंटोनियो गुटेरस (UN Chief Antonio Guterres) ने माली के सैन्य नेताओं से देश में लोकतंत्र बहाली की दिशा में कदम बढ़ाने में तेजी लाने का आग्रह किया है। यूएन सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि यह नितांत आवश्यक है कि चुनाव के दृष्टिकोण से माली सरकार एक स्वीकार्य तिथि बताए।

गुटेरस ने कहा कि चुनाव में देरी को लेकर घाना, सेनेगल और नाइजीरिया के राष्ट्रपतियों, अल्जीरिया के विदेश मंत्री और अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष मूसा फकी महामत से बात की और माली की सरकार से जल्द संपर्क करने की उम्मीद जताई।
 
माली पर नए प्रतिबंध भी थोप दिए गए

घाना पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय खंड ‘इकोवास’ का प्रमुख है, जिसने माली के राष्ट्रपति असिमी गोइता की चुनाव में देरी की घोषणा के जवाब में रविवार को माली पर नए प्रतिबंध लगाए, अधिकांश वाणिज्य और वित्तीय सहायता को निलंबित कर दिया और इकोवास के अन्य सदस्यों के साथ भूमि एवं हवाई सीमाओं को बंद कर दिया।

घाना ने सेना को तैयार रहने को कहा

घाना ने अतिरिक्त बल को भी तैयार रहने का निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी घटना के लिए तैयार रहना होगा। 

यूएन ने कहा वह स्थिति पर नजर रखे हुए 

यूएन सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि वह इकोवास और अफ्रीकी संघ (एयू) के साथ काम कर रहे हैं। माली में 2012 से इस्लामी चरमपंथी विद्रोह को रोकने के लिए संघर्ष जारी है। चरमपंथी विद्रोहियों को फ्रांसीसी नेतृत्व वाले सैन्य अभियान की मदद से माली के उत्तरी शहरों में सत्ता से हटने के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन वे रेगिस्तान में फिर से इकट्ठा हो गए और माली की सेना एवं उसके सहयोगियों पर हमले शुरू कर दिए।

लोगों की सुरक्षा को लेकर संशय

माली में आम नागरिक सुरक्षित नहीं है। उधर, संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर भी हमले हो रहे हैं। दरअसल, अगस्त 2020 में माली के राष्ट्रपति बाउबकर इब्राहिम कीता को तख्तापलट कर हटा दिया गया था, जिसमें सेना के तत्कालीन कर्नल गोइता भी शामिल थे। पिछले जून में गोइता ने नौ महीने में दूसरी बार तख्तापलट करने के बाद सैन्य सरकार के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। सैन्य शासन शुरू में फरवरी के अंत में नया चुनाव कराने के लिए सहमत हुआ था, लेकिन इस महीने की शुरुआत में सैन्य नेतृत्व ने कहा कि देश भर में बढ़ती असुरक्षा की भावना के कारण 2026 तक चुनाव को टाला जाता है, जिससे गोइता चार साल और सत्ता में बने रहेंगे।

गोइता ने प्रतिबंधों पर सोचने को कहा

गुटेरस ने बताया कि इकोवास ने कहा है कि अगर माली की सरकार चुनाव के लिए स्वीकार्य तारीखों की घोषणा करती है और उस दिशा में कदम आगे बढ़ाती है तो उस पर लगे ‘प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाया’ जा सकता है।

 

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