मासूमों की लाशें बिछाता जा रहा था पागल हत्यारा, क्लास में कंबल ओढ़कर सोती रही 3 साल की ये बच्ची

थाइलैंड की यह घटना सबको चौंकाती है। गुरुवार(6 अक्टूबर) को एक हत्यारा नर्सरी में घुस गया था। उसने एक-दो नहीं, 24 मासूमों को बेरहमी से मार डाला था। वो किसी भी बच्चे को जिंदा छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन एमी चमत्कारिक रूप से बच गई। उसने 2 घंटे में 38 लोगों की हत्या की। 

वर्ल्ड न्यूज.पूर्वोत्तर थाईलैंड( northeast Thailand) में एक नर्सरी में पिछले हफ्ते हुए नरसंहार(massacre at a nursery) में वहशी हत्यारे के हाथों से बची इस तीन साल की बच्चर को लोग एक चमत्कार मान रहे हैं। जब हत्यारा बच्चों की लाशें बिछा रहा था, यह मासूम एक क्लास के कोने में कंबल के नीचे डरकर छुपकर सो गई थी। पवनुत सुपोल वॉन्ग(Paveenut Supolwong), जिसे प्यार से एमी(Ammy) कहते हैं, नर्सरी में इकलौती बच्ची थी, जो हत्यारे के हाथ नहीं लगी। गुरुवार(6 अक्टूबर) को एक हत्यारा नर्सरी में घुस गया था। उसने एक-दो नहीं, 24 मासूमों सहित 38 लोगों को बेरहमी से मार डाला था। वो किसी भी बच्चे को जिंदा छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन एमी चमत्कारिक रूप से बच गई।

बच्ची को सिर्फ डर लगा था और जान बच गई
नर्सरी में एमी अकेली बच्ची थी, जो उथाई सावन शहर(town of Uthai Sawan) में एक पूर्व पुलिस अधिकारी पन्या खमराप(former police officer Panya Khamrap) द्वारा 38 लोगों की हत्या करने के बाद बाल-बाल बच गई थी, जिनमें 24 नर्सरी के बच्चे थे। नर्सरी में हत्याकांड करने के बाद पन्या ने अपने पिकअप ट्रक से कुछ राहगीरों को भी कुचल दिया था। करीब 2 घंटे तक वा खूनी खेल खेलता रहा। भगदड़ के बीच पड़ोसियों को गोली मार दी। फिर उसने अपने साथ लिव में रहने वाली महिला और उसके बेटे की हत्या के बाद खुद को खत्म कर लिया। पागल हत्यारा पन्या डेकेयर सेंटर में चाकू लेकर घुस गया था। एमी को कंबल ओढ़कर सोने की आदत है, इसी के वजह से वो जिंदा बच गई।

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एमी की मां पनोमपई सिथोंग(Panompai Sithong) ने कहा कि वे अन्य बच्चों के पैरेंट्स के लिए सदमे में हैं। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी भी है कि उनकी बच्ची बच गई। अम्मी के माता-पिता ने कहा कि ऐसा लगता है कि उसे इस त्रासदी की कोई याद नहीं है। हत्यारे के जाने के बाद किसी ने उसे क्लास के एक दूर कोने में छुपा देखा था। उसे कंबल से ढक कर बाहर लाया गया, ताकि उसे अपने सहपाठियों के शव न दिखें।

इस रविवार(9 अक्टूबर) को उसके घर पर रिश्तेदारों की तांता लगा रहा। बच्ची की सलामती के बाद परिवार ने एक धार्मिक कार्यक्रम(Buddhist ceremony) रखा था। इस दौरान धार्मिक नेता ने संस्कृत प्रार्थना पुस्तक पढ़ी। इस आयोजन में बुरे अनुभव से गुजरे लोगों को सदमा सहने की ताकत मिलने की कामना की जाती है। इस दौरान एमी धैर्यपूर्वक अपनी मां की गोद में बैठी, बड़ी आँखों से शर्म से इधर-उधर देख रही थी और दो मोमबत्तियों के साथ खेल रही थी। रिश्तेदारों ने एक दूसरे पर चांदी के कटोरे से चावल की शराब छिड़की और अच्छे भाग्य की कामना की। एमी की कलाई पर सफेद धागा बांधा गया। उसके गालों को सहलाते हुए आशीर्वाद दिया गया।

जानिए आखिर उस दिन हुआ क्या था?
हत्यारा पन्या एक 9 मिमी पिस्तौल और एक चाकू से लैस था। स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग 12.30 बजे (5.30 बजे जीएमटी) नर्सरी में घुस गया और घटनास्थल से भागने से पहले एक-एक करके बच्चों की हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार, जब उसने अपने बेटे को डेकेयर सेंटर में नहीं पाया, तो वो उत्तेजित हो गया था।

प्री-स्कूी की एक टीचर ने बताया कि कैसे हत्यारे ने नुकीले चाकू से बच्चों को मारा। स्टाफ के एक सदस्य को भी चाकू मार दिया, जो छह महीने की गर्भवती थी। यह समझा जाता है कि देश के इतिहास में यह सबसे बड़ा नरसंहार है। मारे गए लोगों में दो से तीन साल की उम्र के 24 बच्चे, दो शिक्षक और एक पुलिस अधिकारी शामिल हैं।

हत्यारा एक सफेद पिकअप ट्रक में भयानक हमले के बाद घर वापस चला गया। फिर अपनी पत्नी और बच्चे को गोली मारने और खुद को गोली मारने से पहले उसमें आग लगा दी थी।

पुलिस कर्नल जक्कापत विजयत्रैथे( police colonel Jakkapat Vijitraithay) ने कहा कि पन्या (34) को इस साल की शुरुआत में नशीली दवाओं के इस्तेमाल के लिए फोर्स से बर्खास्त कर दिया गया था। 

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