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ISIS के आतंकी हमले में बच गई थी इस लड़की की जान, खुद किया मौत को गले लगाने का फैसला, यह थी वजह

ब्रसेल्स। बेल्जियम के ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर 2016 में ISIS ने आतंकी हमला किया था। इस हमले में 23 साल की शांति डी कोर्टे बच गईं थी। उन्होंने खुद मौत को गले लगाने का फैसला किया। आतंकी हमले के बाद अत्यधिक अवसाद और पीटीएसडी से पीड़ित होने के कारण शांति डी कोर्टे ने इच्छामृत्यु का फैसला किया, जिसके बाद उन्हें मौत दे दी गई। आतंकी हमले का असर उसकी मानसिक स्थिति पर पड़ा था। वह हमेशा डरी रहती थी। उसने दो बार आत्महत्या की कोशिश भी की थी। आगे पढ़ें पूरी खबर... 

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Asianet News Hindi
Published : Oct 09 2022, 08:20 AM IST| Updated : Oct 09 2022, 08:32 AM IST
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छह साल पहले शांति ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने बम विस्फोट किया था। इस हमले में 32 लोग मारे गए थे और 300 घायल हो गए थे। घायलों में शांति डी कोर्टे भी शामिल थीं। इस घटना से वह कभी उबर नहीं पाई। शांति जिंदा तो बच गईं, लेकिन गहरे अवसाद में चली गईं।
 

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शांति ने अपने गृहनगर एंटवर्प में एक मनोरोग अस्पताल में इलाज कराया और कई एंटीडिप्रेसेंट दवाएं लीं, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकीं। उन्होंने 2018 और 2020 में दो बार आत्महत्या का प्रयास किया। बेल्जियम में इच्छामृत्यु कानूनी है। उन्होंने इच्छामृत्यु का विकल्प चुना। दो मनोचिकित्सकों ने 7 मई को उनके अनुरोध को मंजूरी दी। 

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बेल्जियम के आउटलेट वीआरटी से बात करते हुए शांति की मां मारिएले ने अपनी बेटी के दर्द को साझा किया। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी बहुत पीड़ा में थी। 2016 की गर्मियों में हम फ्रांस की यात्रा पर गए, लेकिन शांति होटल से बाहर नहीं आई। डर के मारे वह कहीं नहीं जाना चाहती थी। उसे बार-बार पैनिक अटैक भी आते थे। वह लगातार डरी रहती थी और अपनी सुरक्षा की भावना पूरी तरह से खो चुकी थी।
 

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शांति ने सोशल मीडिया पर अपनी मानसिक स्थिति के बारे में लिखा था। उन्होंने लिखा था कि मुझे नाश्ते के लिए कुछ दवाएं मिलती हैं। एक दिन में 11 एंटीडिप्रेसेंट तक। मैं इसके बिना नहीं रह सकती। मैं दवाएं लेने के बाद भूत की तरह महसूस करती हूं जो अब कुछ भी महसूस नहीं कर सकता। शायद दवाओं के अलावा और भी उपाय थे।

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बता दें कि इच्छामृत्यु बेल्जियम में ऐसे व्यक्ति के लिए कानूनी है जो निरंतर और असहनीय शारीरिक या मानसिक पीड़ा से ग्रस्त हो और इलाज से उसकी पीड़ा को कम नहीं किया जा सकता। गंभीर बीमारी या दुर्घटना के कारण असाध्य विकार के शिकार लोगों को इच्छामृत्यु की इजाजत मिलती है। 

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