अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सोमवार(27) को दावा किया कि उनके सुरक्षा बलों ने राजधानी काबुल में रात भर(26 फरवरी) की आतंकवाद विरोधी छापेमारी में इस्लामिक स्टेट के दो प्रमुख कमांडरों को मार गिराया। इनमें कारी फतेह भी शामिल है।
काबुल. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सोमवार(27) को दावा किया कि उनके सुरक्षा बलों ने राजधानी काबुल में रात भर(26 फरवरी) की आतंकवाद विरोधी छापेमारी(counterterrorism operation) में इस्लामिक स्टेट के दो प्रमुख कमांडरों को मार गिराया। इनमें कारी फतेह भी शामिल है। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक नई रिपोर्ट में कहा गया था कि दक्षिण एशियाई राष्ट्र में 3,000 से अधिक आईएस लड़ाके सक्रिय हैं और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि रविवार देर रात ऑपरेशन में मारे गए लोगों में अफगानिस्तान में दाएश का इंटेलिजेंस ऑपरेशन चीफ कारी फतेह भी शामिल है। दाएश, या इस्लामिक स्टेट-खुरासान (IS-K), इस्लामिक स्टेट का एक अफगान सहयोगी और एक प्रमुख तालिबान विरोधी है। मुजाहिद ने कहा कि फतेह ने काबुल में राजनयिक मिशनों, मस्जिदों और अन्य ठिकानों पर हाल के हमलों की साजिश रची थी।
मुजाहिद ने कहा कि इस क्रिमिनल को खेर खाना रेसिडेंसियल एरिया(काबुल में) में एक जटिल ऑपरेशन के दौरान आईईए (इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान) स्पेशल फोर्स के हाथों उससे हुए क्रूर कार्यों के लिए कल रात न्याय दिया गया।"
हालांकि आईएस-के ने अपने टॉप लीडर की हत्या के तालिबान के दावों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। मुजाहिद ने सोमवार को अपने बयान में यह भी पुष्टि की कि इस महीने की शुरुआत में एक तालिबान आतंकवाद विरोधी अभियान ने भारतीय उपमहाद्वीप के आईएस-के प्रमुख एजाज अमीन अहंगर को उनके दो कमांडरों के साथ मार दिया था। उन्होंने विस्तार से बताए बिना कहा कि "विदेशियों सहित कई दाएश सदस्यों को भी हाल के दिनों में हिरासत में लिया गया था।
आईएस-के ने पिछले हफ्ते अहंगर की मौत की पुष्टि की, जिसे अबू उस्मान अल-कश्मीरी के नाम से भी जाना जाता है। एक बयान में कहा कि वह 14 फरवरी को तालिबान के साथ संघर्ष में मारा गया था, लेकिन सटीक स्थान का उल्लेख नहीं किया।
अगस्त 2021 में काबुल में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने समय-समय पर आईएस-के के खिलाफ अभियान चलाए हैं। अमेरिकी नेतृत्व वाली विदेशी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से यहां आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं। आतंकवादी समूह ने देश में नागरिकों, तालिबान सदस्यों और विदेशी राजनयिक मिशनों को निशाना बनाते हुए रेग्युलर हाई-प्रोफाइल हमले किए हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका आईएस-के को इस्लामिक स्टेट के खतरनाक सहयोगी के रूप में बताता है। अमेरिका तालिबान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर भी शक जताता रहता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार को आतंकवाद पर 2021 देश की रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि आईएस और अन्य क्षेत्रीय रूप से केंद्रित आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में सक्रिय हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “ISIS-K देश में लगभग 2,000 से 3,000 लड़ाकों के साथ एक लचीला दुश्मन(resilient enemy) बना रहा, हालांकि सटीक अनुमान निर्धारित करना मुश्किल है।” अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है।
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