भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में PM ने रखी बौद्ध कल्चर & हेरिटेज सेंटर की आधारशिला,अंदर बहुत कुछ होगा खास

भगवान बुद्ध (Lord Buddha) की जन्मस्थली लुंबिनी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज की आधारशिला रखी। इसके निर्माण पर 1 अरब रुपए खर्च होंगे।

Asianet News Hindi | Published : May 16, 2022 10:18 AM IST / Updated: May 16 2022, 04:08 PM IST

काठमांडू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सोमवार को भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी (नेपाल) पहुंचे। उन्होंने नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा के साथ लुंबिनी में भारत की पहल पर बनाए जा रहे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज की आधारशिला रखी। यहां बौद्ध परंपरा पर अध्ययन किया जाएगा। इसे बनाने में 1 अरब रुपए खर्च होंगे। 

पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज की आधारशिला रखी है उसका खास महत्व है। भारत दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक है। इसके बावजूद बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी में इसका कोई केंद्र या परियोजना नहीं थी।

थाईलैंड, कनाडा, कंबोडिया, म्यांमार, श्रीलंका, सिंगापुर, फ्रांस, जर्मनी, जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रिया, चीन, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों का प्रतिनिधित्व मठ क्षेत्र में परियोजनाओं के केंद्रों द्वारा किया जाता है। 1978 में स्वीकृत नेपाल सरकार के लुंबिनी मास्टर प्लान के तहत लुंबिनी मठ क्षेत्र विभिन्न संप्रदायों और देशों से बौद्ध मठों और परियोजनाओं के आवास के रूप में अस्तित्व में आया था।

IBC को पट्टे पर मिली जमीन
पिछले तीन दशकों में देशों ने लुंबिनी मठ क्षेत्र के भीतर जमीन मांगे और प्राप्त किए, लेकिन भारत इससे बाहर रहा। समय भी समाप्त हो रहा था, क्योंकि मूल मास्टर प्लान के अनुसार केवल दो भूखंड खाली रह गए थे। पीएम मोदी की सरकार में इस मुद्दे को नेपाल के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया था। दोनों सरकारों के निरंतर सकारात्मक प्रयासों के परिणामस्वरूप नवंबर 2021 में लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट (LDT) ने एक परियोजना बनाने के लिए IBC को एक प्लॉट (80 मीटर X 80 मीटर) आवंटित किया। इसके बाद मार्च 2022 में IBC (International Buddhist Confederation) और LDT के बीच विस्तृत समझौता किया गया, जिसके बाद भूमि औपचारिक रूप से IBC को पट्टे पर दी गई।

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ऐसा होगा केंद्र
एक बार केंद्र बनने के बाद सात बाहरी परतों के साथ एक अद्वितीय डिजाइन होगा जो बुद्ध द्वारा उनके जन्म के तुरंत बाद उठाए गए सात कदमों का प्रतीक हैं। केंद्र में प्रार्थना कक्ष, ध्यान कक्ष, पुस्तकालय, सभागार, बैठक कक्ष, कैफेटेरिया और भिक्षुओं के आने के लिए आवास होंगे। केंद्र ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में तकनीकी रूप से उन्नत होगा। केंद्र भारत की बौद्ध विरासत और तकनीकी कौशल दोनों का प्रदर्शन करेगा।

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