
लंदन। मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के बाद अब नीरव मोदी (Neerav Modi) के मामले में भी भारत को झटका लगा है। नीरव मोदी को देश लाने के मंसूबों पर पानी फिर गया है। ब्रिटिश हाईकोर्ट (British High Court) ने सोमवार को नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण (Extradition to India) के खिलाफ अपील की मंजूरी दे दी है। कोर्ट में नीरव मोदी के वकील ने उसके मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देकर भारत भेजे जाने के खिलाफ अपील की थी।
भगोड़े नीरव मोदी के वकील ने तर्क दिया था कि अगर नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण किया जाता है तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है। साथ ही उनमें सुसाइडल टेंडेंसी डेवलप हो सकती है। मामले में भारत का पक्ष रख रही इंग्लैंड की क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस ने नीरव मोदी की आशंकाओं को निराधार बताते हुए जज से अपील निरस्त करने की मांग की थी।
नीरव के वकील हाईकोर्ट को समझाने में हुए सफल
नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण करने के मामले के खिलाफ पेश हुए वकील एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने बताया कि नीरव मोदी अवसाद के शिकार हैं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर हाई कोर्ट से उसके भारत प्रत्यर्पण को रोकने की मांग की। हाईकोर्ट को दिए गए प्रार्थना पत्र में मोदी के वकील ने लिखा है कि अगर उसे कोरोना प्रभावित मुंबई की आर्थर रोड जेल में भेजा जाता है तो उसके मन में आत्महत्या के विचार और प्रबल होंगे। फिट्जगेराल्ड ने कहा कि 50 वर्षीय नीरव को इस तरह से भेजा जाना दमनकारी होगा।
साल के शुरुआत में हुआ था नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश
हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का आदेश बीते फरवरी में हुआ था। नीरव पर भारत में धोखाधड़ी का केस चल रहा है। उनके ऊपर पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हेराफेरी का आरोप है। उस पर सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को बरगलाने का मुकदमा कर रखा है। मार्च 2019 में लंदन वह गिरफ्तार हुआ था। अरेस्ट होने के बाद उसे वांड्सवर्थ जेल में रखा गया है। फरवरी में सुनवाई के दौरान जज सैमुअल गूजी ने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।
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