Nepal Crisis: सुशीला कार्की ने लिया अंतरिम सरकार की अध्यक्ष के रूप में शपथ, संसद भंग

Published : Sep 12, 2025, 07:24 PM ISTUpdated : Sep 12, 2025, 08:06 PM IST
Sushila Karki

सार

Nepal Protests: उग्र विरोध प्रदर्शन के चलते नेपाल में पैदा हुए राजनीतिक संकट को दूर किए जाने का रास्ता खुला है। पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने अंतरिम सरकार के अध्यक्ष के रूप में शपथ लिया है।

Nepal Unrest: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रमुख बन गईं हैं। उन्हें शुक्रवार की रात राष्ट्रपति ने शपथ दिलाया। कार्की अंतरिम सरकार की अध्यक्ष बनी हैं। उनका मुख्य काम 6 महीने में चुनाव कराना और नई सरकार का गठन होगा। शपथ लेने के लिए उन्हें राष्ट्रपति भवन बुलाया था। नेपाल के संसद को भंग कर दिया गया है। जेन Z की मांगों पर सहमति बनी है। 

 

 

काठमांडू स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को नए पीएम के काम करने लायक बनाया जा रहा है।

 

 

पहली कैबिनेट में हो सकती है आपातकाल की घोषणा

नेपाल में नई सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार रात 12 बजे से 6 महीने के लिए आपातकाल लगाया जा सकता है। इस दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी सेना के पास होगी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी

नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। इसके लिए शक्तिशाली आयोग बनाया जाएगा। विरोध प्रदर्शन कर रहे जेन Z की यह प्रमुख मांग है।

कौन हैं सुशीला कार्की?

सुशीला कार्की नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं थीं। 72 साल की कार्की की पहचान भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले व्यक्ति के रूप में है। उन्होंने चीफ जस्टिस रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में एक मंत्री को जेल भेजा था। सुशीला कार्की ने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पढ़ाई की थी। उनकी उम्र को लेकर GEN Z के कुछ गुटों में असहमति बताई जा रही थी, लेकिन ऐसा लगता है कि इसे दूर कर लिया गया है।

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मंगलवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को देना पड़ा था इस्तीफा

नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे। मंगलवार को इसने उग्र रूप लिया। भीड़ ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और अन्य प्रमुख सरकारी इमारतों पर हमला किया। उन्हें जला दिया। भारी विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था।

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