
काठमांडू: नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 1816 में हुई सुगौली संधि के दौरान भारत को दिये गए देश के मूल नक्शे को 15 दिनों के अंदर उसे उपलब्ध कराए। अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया जिसमें उससे नेपाली भू-भाग की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने को कहा गया है।
न्यायमूर्ति हरि प्रसाद फुयाल ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सरकार से नक्शे की मांग की। अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सरकार को आदेश दे कि वह नेपाली क्षेत्र की सुरक्षा के लिये राजनीतिक व कूटनीतिक प्रयास शुरू करे।
नेपाल ने नए राजनीतिक मानचित्र पर जताई आपत्ति-
जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद भारत ने पिछले साल नवंबर में एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। नेपाल ने दावा किया था कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भारतीय भूभाग में दर्शाए गए हैं यद्यपि वे नेपाली भूभाग में हैं। भारत ने कहा है कि नया नक्शा सटीक तरीके से उसके संप्रभु क्षेत्र को दर्शाता है और उसने किसी भी तरह नेपाल से लगने वाली सीमा में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया है।
सुप्रिम कोर्ट ने 15 दिन के अंदर लिखित जवाब मांगा-
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यद्यपि सोमवार का था लेकिन इसका लिखित प्रारूप बुधवार को जारी किया गया । सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार से सुगौली संधि काल के नेपाल के नक्शे के साथ 15 दिन के अंदर लिखित जवाब दायर करने को कहा है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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