चीन के हस्तक्षेप के बाद भारत से अपने पुराने रिश्ते में खटास पैदा करने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को अपने घर पर बुलाई नेशनल असेंबली की मीटिंग में फिर से सीमा विवाद को हवा दे डाली। नेपाल में जारी सियासी संकट के बीच ओली ने अपनी प्रतिज्ञा दुहराते हुए कहा कि वो भारत से कालापानी, लिपिंयाधुरा और लिपुलेख का कब्जा लेकर रहेंगे।
काठमांडू, नेपाल. किसी भी तरह से नेपाल में अपनी दुबारा सरकार बनाने की जुगाड़ में लगे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सियासी संकट के बीच अपने घर पर रविवार को नेशनल असेंबली की मीटिंग बुलाई। इसमें ओली ने सीमा विवाद का मुद्दा भी उठाया। ओली ने अपनी पुरानी प्रतिज्ञा दुहराते हुए कहा कि वो भारत से कालापानी, लिपिंयाधुरा और लिपुलेख का कब्जा लेकर रहेंगे। बता दें कि नेपाल के राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 20 दिसंबर को ओली की सिफारिश पर निचले सदन को भंग कर दिया था। यहां 30 अप्रैल और 10 मई, 2021 को चुनाव प्रस्तावित हैं। 68 वर्षीय ओली ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर आंतरिक कलह और राजनीतिक एकता के अभाव को सियासी संकट के लिए जिम्मेदार बताया था।
मुख्य मुद्दे से भटककर भारत पर अटके ओली...
ओली सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने, बेरोजगारी और कोरोना जैसे मुद्दे पर विफल रहने के आरोप लगते रहे हैं। इसके बावजूद वे मीटिंग में इन मुद्दों से भटककर भारत के साथ सीमा विवाद पर बोलते रहे।
क्या है विवाद...
31 अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विभाजन लागू होने के बाद नवंबर में भारत ने अपना भू-राजनीतिक नक्शा जारी किया था। नेपाल ने इस पर आपत्ति जताई थी। ओली का दावा है कि सुगौली समझौते के मुताबिक महाकाली नदी के पूर्व पर स्थित ये तीनों क्षेत्र नेपाल के हैं। ओली ने कहा कि वे कूटनीति के जरिये ये तीनों इलाके भारत से वापस ले लेंगे। ओली ने कहा कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से भारतीय सेना नेपाल के जिन इलाकों में तैनात है, नेपाल के शासकों ने कभी उन क्षेत्रों को भारत से लेने की कोशिश नहीं की।
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