सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग से अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है। इस बात का खुलासा किया नीदरलैंड्स की ह्यूमन रिसोर्सेस बारबरा जेमन ने। उन्होंने बताया कि किस तरह से उनका 8 साल का बेटा साइबर ठगी करने वाले हैकर्स ग्रुप के जाल में फस गया था।
वर्ल्ड न्यूज. आजकल ज्यादातर बच्चे अपना वक्त सोशल मीडिया फोन और लैपटॉप पर बिताते हैं। ऑनलाइन गेमिंग से लेकर और न जाने क्या कुछ। लेकिन कभी-कभी वह गलत संगत में पड़ जाते हैं और उनकी एक गलती ताउम्र के लिए गहरा जख्म दे जाती है। इसी क्रम में नीदरलैंड की रहने वाली एक महिला ने बड़ा खुलासा किया। महिला ने दिए गए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे इंटरनेट के जरिए उनका 8 साल का बेटा AK47 बंदूक खरीदने में कामयाब रहा और उसे किस तरीके से वह घर पर लेकर आया।
'हैकर्स के बहकावे में आया 8 साल का बेटा'
यूरो न्यूज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में नीदरलैंड की ह्यूमन रिसोर्सेज एक्सपर्ट बारबरा जेमन बताया कि उनका 8 साल का बेटा बेहद कम उम्र में साइबर अपराध की दुनिया में पहुंच गया था। उन्होंने खुलासा किया कि उनका बेटा कंप्यूटर पर काफी ज्यादा वक्त बिताता था और उसने 8 साल की उम्र में हैकिंग भी शुरू कर दी थी।
धीरे-धीरे खतरनाक होती गई चीजें- जेमन
जेमन ने इंटरव्यू में बताया कि उनके बेटे ने एके-47 मंगाने से पहले बहुत छोटी-छोटी सी गलतियां की थी लेकिन वह इसे भांप नहीं पाईं। वह इंटरनेट से फ्री चीजें ऑर्डर किया करता था जैसे फ्री पिज्जा और अन्य सामान लेकिन धीरे-धीरे यह स्थिति और भी ज्यादा खतरनाक होती गई। उन्होंने खुलासा किया कि जब भी मैं उसके कमरे में जाती थी तो वह बात करने के लिए कोडवर्ड्स का इस्तेमाल करता था। ताकि इस तरह का काम कराने वाले लोगों और उसके बीच होने वाली बातचीत को छुपाया जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑनलाइन गेमिंग के हैकर्स ग्रुप ने उनके बेटे का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी किया था।
'बेटे ने शातिराना अंदाज़ में बुक की थी एके-47'
उन्होंने बताया कि जब तक एके-47 उनके घर पर नहीं आई थी तब तक वह इस बात से अनजान थी कि उनका बेटा किस राह पर जा रहा है। जेमन बताया कि उनके बेटे ने बंदूक को बुक करने के लिए 1 महीने से ज्यादा का वक्त इंटरनेट पर व्यतीत किया और यह पता लगाया कि इसे किस तरह से मंगाया जा सकता है। इतना ही नहीं कस्टम टैक्स से बचने के लिए उनके बेटे ने इस बंदूक को पोलैंड से बुल्गारिया भेज दिया था। जब यह बंदूक हमारे घर पर आई उस वक्त उनका बेटा बहुत खुश था लेकिन मैंने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे पुलिस में सौंपने का निर्णय लिया। मेरे इस कदम के बाद मेरी बेटे के व्यक्तित्व में काफी बदलाव देखने को मिला और वह तनाव में रहने लगा। इसके बाद हमें पता चला कि वह इंटरनेशनल हैकर्स ग्रुप के साथ काम कर रहा था।
बच्चों को दीमक की तरह खा रही ऑनलाइन गेमिंग
जेमन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में सलाह लेने के लिए लॉ एनफोर्समेंट से भी संपर्क किया हालांकि उन्हें कोई मदद नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने साइबर सिक्योरिटी की बारे में जानने की ठानी। इस वक्त वह पुलिस में साइबर स्पेशल वॉलिंटियर की तरह काम कर रही हैं। जेमन आगे कहती हैं की आज के समय में यह बहुत आसान है क्योंकि सभी बच्चों के पास सेल फोन या लैपटॉप है। ऑनलाइन गेमिंग के जरिए हैकर्स बच्चों को बहला-फुसलाकर उनसे अवैध काम करवाते हैं। उन्होंने कहा युवाओं को हैकिंग के दलदल मैं जाने से रोकना बड़ा मुद्दा है। उन्हें नहीं पता होता कि क्या यह कानूनी है और क्या अवैध इसलिए इस पर ज्यादा से ज्यादा काम करने की जरूरत है।