
बीजिंग। चीन ने आखिरकार नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन (New Delhi G20 summit) पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। चीन ने कहा है कि सदस्य देशों ने जिस घोषणा को स्वीकार किया है उससे पॉजिटिव सिग्नल गया है। इससे संकेत मिला है कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए जी20 के देश एक साथ काम कर सकते हैं। जी20 द्वारा वैश्विक आर्थिक सुधार को बढ़ावा दिया जा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) को लेकर जी20 के सदस्य देशों का घोषणा पर सहमत होना बड़ी चुनौती थी। शनिवार को भारत ने इस मामले में बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए घोषणा पर सभी सदस्य देशों को सहमत कर लिया और इसे स्वीकार भी करा लिया। एक भी सदस्य देश अगर घोषणा से सहमत नहीं होता तो इसे स्वीकार नहीं किया जाता। इससे पहले अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास की वैश्विक कमी को दूर करने का आह्वान किया था।
जी20 को मिला है सकारात्मक संकेत
जी20 शिखर सम्मेलन के नतीजे पर अपनी पहली टिप्पणी में चीनी विदेश मंत्रालय ने इसके नतीजों की सराहना की। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "जी20 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के नेताओं ने घोषणा को अपनाया है। इस घोषणा में चीन के प्रस्ताव की झलक है। इसमें कहा गया है कि जी20 साझेदारी के माध्यम से ठोस तरीकों से काम करेगा। इससे जी20 को वैश्विक चुनौतियों से निपटने, विश्व आर्थिक सुधार और वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने का सकारात्मक संकेत मिलेगा।"
चीन ने निभाई जी20 शिखर सम्मेलन में रचनात्मक भूमिका
माओ निंग ने कहा कि चीन ने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में रचनात्मक भूमिका निभाई। चीन विकासशील देशों की चिंताओं को महत्व देने और ग्लोबल ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन जी20 घोषणा में रूस की सीधी आलोचना नहीं किए जाने का समर्थन करता है? क्या नरम भाषा यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में मदद करेगी? माओ ने कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर चीन का रुख सुसंगत और स्पष्ट है। उन्होंने कहा, “जी20 नेताओं की घोषणा परामर्श के माध्यम से बनी आम सहमति का परिणाम है। यह सभी सदस्यों की आम समझ को दर्शाती है। नई दिल्ली शिखर सम्मेलन इस बात की पुष्टि करता है कि जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है न कि भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच।"
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माओ ने कहा, “हम हमेशा मानते हैं कि यूक्रेन संकट के अंतिम समाधान की कुंजी शीत युद्ध की मानसिकता को त्यागने, सभी पक्षों की वैध सुरक्षा चिंताओं को महत्व देने और उनका सम्मान करने और बातचीत के माध्यम से राजनीतिक समाधान खोजने में निहित है।”
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