
Nobel Peace laureate convicted: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को श्रम कानूनों के उल्लंघन में कोर्ट ने दोषी ठहराया है। सोमवार को बांग्लादेश के एक कोर्ट ने उन पर निर्णय सुनाया। यूनुस सहित चार आरोपियों को छह महीने की कारावास की सजा सुनाई गई है। हायर कोर्ट में अपील के लिए सजा को निलंबित रखते हुए सभी को जमानत मिल गई है। नोबेल विजेता के समर्थकों ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया।
ढाका की श्रम अदालत ने दोषी ठहराया
मुहम्मद यूनुस को ढाका की एक श्रम अदालत ने दोषी ठहराया है। उनको छह महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने फिलहाल, अपील करने के लिए चारों को जमानत दे दी है।
उधर, यूनुस सहित चारों आरोपियों ने आरोपों से इनकार कर दिया है। कोर्ट के बाहर भी यूनुस के समर्थन में लोगों ने प्रदर्शन किया। यूनुस के वकील अब्दुल्ला अल मामुन ने कहा कि यह फैसला अभूतपूर्व है। हमें न्याय नहीं मिला।
100 से अधिक केसों का सामना कर रहे नोबेल विजेता
यूनुस श्रम कानून के उल्लंघन और कथित भ्रष्टाचार को लेकर 100 से अधिक अन्य आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने एक सुनवाई के बाद कहा कि उन्होंने बांग्लादेश में स्थापित 50 से अधिक सामाजिक व्यवसाय फर्मों में से किसी से भी लाभ नहीं कमाया है। यूनुस ने कहा कि वे मेरे निजी फायदे के लिए नहीं थे। मामला बेबुनियाद, झूठा और गलत प्रेरित था। उन्होंने कहा कि मामले का एकमात्र उद्देश्य उसे दुनिया के सामने परेशान करना और अपमानित करना है।
दरअसल, 83 वर्षीय मुहम्मद यूनुस उस समय सुर्खियों में आए थे जब उनके द्वारा स्थापित अग्रणी माइक्रोफाइनेंस बैंक की मुहिम से लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का श्रेय मिला। उनके माइक्रा फाइनेंस बैंकिंग की धूम दुनिया में मची। इस वजह से उनको 2006 में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। हालांकि, यूनुस पर श्रम कानूनों के उल्लंघन के कई आरोप भी लगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी नहीं बनी। शेख हसीना ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाया था और उनको गरीबों से खून चूसने का आरोप लगाया। हसीना के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में उनको देखा जाता रहा है।
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