दुनियाभर में महिला पत्रकार ऑनलाइन हिंसा का शिकार हैं, लेकिन यहां बात सिर्फ नेपाल की करते हैं। नेपाल में महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा' पर एक स्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कि 88.6 प्रतिशत महिला पत्रकारों ने अपने जीवन में कभी न कभी हिंसा का अनुभव किया है।
काठमांडू(kathmandu). दुनियाभर में महिला पत्रकार ऑनलाइन हिंसा(online violence against women journalists) का शिकार हैं, लेकिन यहां बात सिर्फ नेपाल की करते हैं। नेपाल में महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा' पर एक स्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कि 88.6 प्रतिशत महिला पत्रकारों ने अपने जीवन में कभी न कभी हिंसा का अनुभव किया है। यह स्टडी मई से 31 अगस्त, 2022 तक कराई गई थी। पढ़िए रिपोर्ट में क्या निकला...
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया में कार्यरत 281 महिला पत्रकारों के बीच किए गए अध्ययन में इस तरह के रिजस्ट निकले हैं। 281 प्रतिभागियों में से, 116 महिला पत्रकारों ने कहा कि उन्होंने अपने सहयोगियों से ऑनलाइन हिंसा का सामना किया। इनमें 89 कार्यालय से बाहर, 89 ज्ञात व्यक्तियों से, 63 समाचार स्रोतों / व्यक्तियों से, 56 राजनीतिक दलों से संबद्ध लोगों से और 26 सरकारी अधिकारियों से ऑनलाइन हिंसा के मामले सामने हैं। बुधवार(30 नवंबर) को काठमांडू में मीडिया एडवोकेसी ग्रुप( Media Advocacy Group) द्वारा स्टडी रिपोर्ट का अनावरण(unveiled) किया गया।
रिपोर्ट में 53 प्रतिशत ने कहा कि उनके द्वारा अनुभव की गई ऑनलाइन हिंसा पत्रकारिता पेशे से संबंधित थी, जबकि 21.4 प्रतिशत ने कहा कि ऑनलाइन से शुरू हुई हिंसा धमकी और शारीरिक हमले तक पहुंच गई थी। जैसा कि स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है। इसी तरह, 11.4 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन हिंसा का सामना नहीं किया, लेकिन दूसरों से सुना है।
स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा हिंसा फेसबुक मैसेंजर के जरिए हुई। प्रतिभागियों में से, 62.3 प्रतिशत ने फेसबुक मैसेंजर के माध्यम से, 15.5 प्रतिशत ट्विटर के माध्यम से, 12.8 प्रतिशत व्हाट्सएप के माध्यम से, 11.7 प्रतिशत वाइबर के माध्यम से, छह प्रतिशत ईमेल के माध्यम से और 4.6 प्रतिशत इंस्टाग्राम के माध्यम से हिंसा का अनुभव किया।
जैसा कि अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑनलाइन हिंसा का सामना करने वाली महिला पत्रकारों में से 40.2 प्रतिशत ने कहा कि इससे उनका प्रोफेशन प्रभावित हुआ है। 40.2 प्रतिशत में से 31 प्रतिशत का पारिवारिक जीवन हिंसा के कारण प्रभावित हुआ है। इसी तरह, 62.3 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हुईं।
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव बैकुंठ आर्यल ने बुधवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि रिपोर्ट में गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं और कानून बनाते समय मंत्रालय इन मुद्दों को गंभीरता से उठाएगा। उन्होंने आम लोगों की स्थिति के बारे में चिंता जताते हुए कहा, "हमने मीडिया में रिपोर्ट की गई हिंसा की कहानियां पढ़ी थीं, लेकिन खुद मीडियाकर्मियों के साथ हुई हिंसा को नहीं पढ़ा गया।"
सेक्रेटरी आर्यल ने संकल्प लिया कि मंत्रालय ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सहायता प्रदान करेगा। इस अवसर पर फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष बिपुल पोखरेल ने कहा कि पत्रकारों का अम्ब्रेला आर्गेनाइजेशन नीति, नियम या निर्देश तैयार करते समय स्टडी के रिजल्ट और सिफारिशों को शामिल करेगा। उन्होंने आगे कहा कि हिंसा का मुद्दा केवल महिलाओं का नहीं है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों का है। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन समिति (सीईडीएडब्ल्यू) की सदस्य बंदना राणा ने सवाल किया, "समाज में हिंसा की भयावहता क्या होगी जब अन्य लोगों को इत्तला करने की भूमिका वाले व्यक्ति हिंसा के दायरे में आते हैं।"
रिपोर्ट पेश करते हुए एमएजी की संस्थापक अध्यक्ष बबिता बासनेट ने लिंग आधारित हिंसा को रोकने और मानव व्यवहार में सुधार के लिए पर्याप्त कानूनी व्यवस्था करने की अत्यावश्यकता पर बल दिया। एमएजी की अध्यक्ष अनीता बिंदू ने साझा किया कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते डिजिटल खतरों को कानूनी रूप से संबोधित करने के लिए राज्य का ध्यान आकर्षित करने के लिए अध्ययन किया गया था।
बता दें कि नेपाल में महिलाएं शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, यौन और परंपरा से प्रेरित हिंसा का शिकार रही हैं। आईटी के उपयोग में वृद्धि के साथ महिलाओं के खिलाफ हिंसा की भयावहता में वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2077/78 में नेपाल पुलिस साइबर ब्यूरो में साइबर अपराध से संबंधित 3,906 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें 2,003 शिकायतें महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार, 1,471 पुरुषों के खिलाफ हिंसा और 224 अन्य लिंग श्रेणियों से संबंधित थीं। यह डेटा डिजिटल मीडिया के माध्यम से हिंसा की घटनाओं में वृद्धि दर्शाता है।
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