आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने पॉसिंग आउट परेड में नए सैन्य अधिकारियों को सीख देते हुए कहा कि आप उस वक्त सेवा में प्रवेश कर रहे हैं जब देश के सामने चुनौतियां बेहद जटिल और बहुआयामी है। इसलिए पूर्ववर्ती लोगों की तुलना में आप पर और बड़ी जिम्मेदारियां हैं।
Pakistan Army Chief Qamar Javed Bajwa: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने नए सैन्य अधिकारियों को लोकतंत्र व लोकतांत्रिक संस्थानों के सम्मान का पाठ पढ़ाया है। शनिवार को एक पॉसिंग आउट परेड में जनरल बाजवा ने कहा कि देश के भावी सैन्य अधिकारियों को लोकतांत्रिक संस्थानों का 'सम्मान' करना चाहिए। सैन्य अधिकारियों को किसी भी सूरत में फर्जी खबरों और राजनीतिक तकरार पर ध्यान नहीं देने की आवश्यकता है। उनका ध्यान फर्जी खबरों और राजनीतिक तकरार से भटकना नहीं चाहिए।
पाकिस्तान सैन्य अकादमी के पॉसिंग आउट परेड में थे जनरल
जनरल बाजवा शनिवार को पाकिस्तान सैन्य अकादमी के एक पॉसिंग आउट परेड में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। उन्होंने नए अधिकारियों से कहा कि हम सबको लोकतांत्रिक संस्थानों, चुनी हुई सरकारों का सम्मान करना चाहिए। अपने जीवन के साथ पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और संविधान की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। एक अच्छा सैनिक वह है जो देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहे। फर्जी समाचार और राजनीतिक तकरार से विचलित न हो।
आज पहले से अधिक जिम्मेदारियां हैं नए सैनिकों पर
आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने पॉसिंग आउट परेड में नए सैन्य अधिकारियों को सीख देते हुए कहा कि आप उस वक्त सेवा में प्रवेश कर रहे हैं जब देश के सामने चुनौतियां बेहद जटिल और बहुआयामी है। इसलिए पूर्ववर्ती लोगों की तुलना में आप पर और बड़ी जिम्मेदारियां हैं। हमें, हमारे देश के खिलाफ गढ़ी गई सभी साज़िशों का जवाब देने और उन साजिशों को बेनकाब करने के लिए हमेशा सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि नागरिकों के समर्थन से सशस्त्र बल कभी भी किसी भी देश, समूह या बल को पाकिस्तान को राजनीतिक या आर्थिक रूप से अस्थिर करने की अनुमति नहीं देंगे।
इमरान खान के बयान के बाद आया बाजवा का बयान
दरअसल, सेना प्रमुख बाजवा की यह टिप्पणी शनिवार को उस समय आया जब पूर्व पीएम इमरान खान ने सैन्य विरोधी बयान दिया है। बता दें कि कमर जावेद बाजवा बीते छह साल से पाकिस्तानी सेना प्रमुख हैं। तीन साल के कार्यकाल के बाद, 2019 में इमरान खान की तत्कालीन सरकार ने उनकी सेवा को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया था। सेना प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री का एकमात्र विशेषाधिकार है।
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