
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में देशद्रोह मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को कोर्ट ने मौत की सजा दी है। इसके दो दिन बाद गुरुवार को विशेष अदालत ने फैसले में अपनी बात विस्तार से कही है। कोर्ट ने कहा अगर सजा से पहले मुशर्रफ की मौत हो जाए तो भी उसे घसीटकर लाकर चौराहे पर लटकाना जाए।
अदालत ने 167 पेज के इस फैसले में कहा गया कि, 'हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि भगोड़े/दोषी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए और सुनिश्चित करें कि कानून के हिसाब से सजा दी जाए। अगर वह मृत मिले तो उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक तक खींचकर लाया जाए तथा तीन दिन तक लटकाया जाए।'
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मैं इस फैसले को संदिग्ध मानता हूं
दूसरी ओर मुशर्रफ ने अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने सुनवाई में कानून को नजरअंदाज करने की बात कही। मुशर्रफ ने कहा- मैंने टेलीविजन पर अपने खिलाफ विशेष अदालत का फैसला सुना। इससे पहले पाकिस्तान में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब वादी या उसके वकील को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया हो। मैं इस फैसले को संदिग्ध मानता हूं। सुनवाई में शुरू से अंत तक कानून को नजरअंदाज किया गया।
निजी दुश्मनी के कारण मुझे सजा सुनाई गई
पूर्व सैन्य प्रशासक ने कहा कि विशेष कमीशन दुबई आकर बयान लेता है तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने बयान दर्ज करने के लिए अनुरोध भी किया था लेकिन, इसे नहीं माना गया। वे पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का सम्मान करते हैं। बुधवार को एक वीडियो जारी कर मुशर्रफ ने कहा कि, मैं आपसी दुश्मनी का शिकार हुआ हूं। निजी दुश्मनी के कारण मुझे सजा सुनाई गई।
आपको बता दें कि, परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा दिए जाने से पाकिस्तानी सरकार और सेना दोनों नाराज हैं। सेना ने कहा था कि एक ऐसा शख्स जो पाकिस्तान का राष्ट्रपति था और जिसने देश के लिए कई लड़ाइयां लडीं, उसे फांसी की सजा देना लोकतांत्रिक नहीं है। वहीं पाकिस्तान सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह विशेष अदालत के 'मानसिक रूप से अस्वस्थ' चीफ जस्टिस को हटाने के लिए उच्चतम न्यायिक परिषद का रुख करेगी।
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बीमार मुशर्रफ विदेश में करवा रहे इलाज
मुशर्रफ फिलहाल दुबई में हैं। गंभीर रूप से बीमार होने के कारण उनका इलाज चल रहा है। दरअसल, मुशर्रफ को विशेष अदालत ने मंगलवार को 3 नवंबर 2007 में संविधान को स्थगित कर इमरजेंसी लागू करने के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। यह पहली बार है जब पाकिस्तान में किसी सैन्य शासक को मौत की सजा सुनाई गई है।
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