बदहाल Pakistan के गिड़गिड़ाने पर Saudi Arab ने कड़े शर्तों पर दिया loan, तीन दिन के नोटिस पर कर सकता है वसूली

इमरान ने रियाद में मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव समिट से अलग सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलाजीज अल सौद (Mohammad Bin Salman Bin Abdullaziz Al Saud) से मुलाकात भी की थी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 2, 2021 9:46 AM IST

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की बदहाल स्थिति ऐसी हो चुकी है कि वह कर्ज लेने के लिए कोई भी शर्त मानने को तैयार है। कई बार गिड़गिड़ाने के बाद सऊदी अरब पाकिस्तान को कर्ज देने पर राजी हो गया है। पाकिस्तान ने 4.2 अरब डॉलर के कर्ज का समझौता कर लिया है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी (Fawad Chaudhary) ने बताया कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक साल के लिए 3 अरब डॉलर की नकद जमा राशि देने पर सहमति जताई है, जिसमें कहा गया है कि देश तीन दिन के नोटिस पर इसे किसी भी समय वापस करने के लिए बाध्य होगा।

इन शर्तों पर पाकिस्तान को मिला लोन

सऊदी अरब (Saudi Arab) पाकिस्तान (Pakistan) को फाइनेंशियल सपोर्ट (financial support) करते हुए लोन देना स्वीकार कर लिया है। वह 3 अरब डॉलर सुरक्षित जमा (कैश रिजर्व) और 1.2 अरब डॉलर मूल्य की तेल आपूर्ति डैफर्ड पेमेंट पर देगा। पर मजे की बात ये है कि ये कैश रिजर्व (Cash Reserve) सिर्फ दिखाने के लिए है, खर्च करने के लिए नहीं। इमरान सरकार इसे चाहकर भी खर्च नहीं कर सकते। बैंक में इसे केवल साख के लिए डिपॉजिट किया जाएगा न कि निकालने के लिए।

इस बार पाकिस्तान के पास रोलओवर का कोई विकल्प नहीं है और उसे एक साल बाद कर्ज वापस करना होगा। सऊदी के लिखित अनुरोध पर उसे 72 घंटे के भीतर पैसा लौटाना पड़ सकता है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि 3 अरब डॉलर पर 4 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा। पिछली बार ब्याज दर 3.2 फीसदी थी। इसका मतलब ये हुआ कि पाकिस्तान को कर्ज पर 120 मिलियन डॉलर का ब्याज देना होगा। पाकिस्ताना में शर्तों को लेकर लोग नाराज भी हैं।

बीते दिनों पाकिस्तान के पीएम ने किया था दौरा

मुल्क की आर्थिक स्थिति बदहाल होते ही चेतावनी देने वाला पाकिस्तान (Pakistan), बीते दिनों उसी सउदी अरब (Saudi Arabia) के सामने गिड़गिड़ाया था तो उसकी मदद को वहां के क्राउन प्रिंस (Crown prince) तैयार हुए थे। पाकिस्तान की मदद के लिए सउदी अरब ने मदद का ऐलान किया है। सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट (Saudi Fund for development) ने पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में तीन अरब यूएस डॉलर जमा करने का निर्णय लिया था। सऊदी अरब डेफर्ड पेमेंट के साथ ही 1.2 अरब डॉलर की तेल सप्लाई भी देने को राजी हुआ था।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बीते 23 से 25 अक्टूबर तक दौरे पर रहे थे। पीएम इमरान मिडल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव (MGI) सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। इमरान ने इसी दौरान रियाद में मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव समिट से अलग सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलाजीज अल सौद (Mohammad Bin Salman Bin Abdullaziz Al Saud) से मुलाकात भी की थी। आर्थिक सहायता मांगी थी। 

क्यों बिगड़ गए थे पाकिस्तान से सऊदी अरब के रिश्ते?

दरअसल, पाकिस्तान विश्व समुदाय में कश्मीर का मुद्दा हरदम उठाता रहता है। जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने और केंद्र शासित राज्य में तब्दील करने का ऐलान किया तो पाकिस्तान ने इसे मुद्दा बनाना चाहा। वह मुस्लिम देशों को इसका विरोध करने के लिए उकसाने लगा। उसने सऊदी अरब को भी विरोध करने को कहा, लेकिन जब सऊदी अरब ने कुछ नहीं कहा तो उसने चेतावनी दे डाली। चेतावनी देने के बाद खफा सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपना आर्थिक लेन-देन समाप्त करते हुए कुछ रकम वापस मांग ली। द्विपक्षीय संबंध बिगड़ने के कारण पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर के डिपॉजिट में से 2 अरब डॉलर वापस करना पड़ा था। 

आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान अब मांग रहा मदद

गलत चाल की वजह से रिश्ते खराब कर चुके पाकिस्तान की हालत बेहद खराब हो चुकी है। वह आतंकवाद और दूसरे देशों को भड़काने के साथ साथ भ्रष्टाचार के आकंठ में डूब चुका है। दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे इस मुल्क को अब विदेशी मदद के अलावा कोई चारा नहीं है। सबसे अहम यह कि चीन जिसे पाकिस्तान अपना सबसे अच्छा दोस्त कहता है, उसने भी और कर्ज देने से इनकार कर दिया। साथ ही दी हुई रकम को वापस करने का दबाव भी बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में पाकिस्तान के पास अरब देशों से रिश्ते सुधारने और उनके सामने हाथ फैलाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा हुआ था।  

दूसरी बार सऊदी अरब कर रहा है पाकिस्तान की मदद

सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यह दूसरी बार मदद की है। इसके पहले 2018 में सऊदी अरब ने छह अरब अमेरिकी डॉलर की मदद की थी। सऊदी ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में 3 अरब डॉलर डिपॉजिट और 3 अरब डॉलर वार्षिक आधार पर डेफर्ड पेमेंट पर तेल सप्लाई की थी।

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