
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खुफिया दस्तावेज लीक हो गए हैं। इन लीक दस्तावेजों में विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar) से जुड़ी जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक हिना रब्बानी ने कहा था पाकिस्तान अब चीन और अमेरिका के बीच मिडल ग्राउंड बनकर नहीं बना रह सकता। उन्होंने कहा था कि अगर देश अमेरिका की तरफ झुकता है, तो उसे चीन से मिलने वाले फायदे को त्यागना पड़ेगा। बता दें कि उनका यह बयान उस समय का है, जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से सेना को वापस बुला लिया था।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटरनल मेमो में पाकिस्तान की विदेशमंत्री ( Foreign Minister of Pakistan ) ने यह बातें कहीं। इस मेमो का टाइटल, 'पाकिस्तान के मुश्किल विकल्प' था। मेमो में उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान को पश्चिम देशों को खुश करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान , अमेरिका के साथ साझेदारी बनाए रखता है तो उसे चीन के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को छोड़ना होगा। पाकिस्तान अब और मिडल ग्राउंड बन कर नहीं रह सकता।
अमेरिका के पास कैसे पहुंचा खुफिया मेमो?
फिलहाल इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि हिना रब्बानी का खुफिया मेमो कैसे लीक हुआ और यह अमेरिका के पास कैसे पहुंचा। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्तान के किसी नेता से जुड़ी कोई खुफिया जानकारी लीक हुई हो। इससे पहले भी देश के बड़े नेताओं के ऑडियो लीक हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री की बातें भी सुन सकता है अमेरिका
इससे पहले 17 फरवरी को भी एक अन्य दस्तावेज में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) के उस विचार विमर्श का जिक्र गया था। दस्तावेज में कहा गया था कि अगर वह यूक्रेन संघर्ष (Ukraine Crisis) को लेकर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे तो उन पर पश्चिमी देश दबाव बनाएंगे।
खुफिया दस्तावेज में कहा गया था कि शहबाज शरीफ के सहयोगी ने सलाह दी कि अगर पाकिस्तान इस प्रस्ताव का समर्थन करता है, तो रूस के साथ उसके रिश्ते खराब हो जाएंगे। ऐसे में पाकिस्तान यूएन में होने वाले मतदान में भाग न ले। गौरतलब है कि 23 फरवरी को जब यूएन में यूक्रेन संघर्ष को लेकर मतदान हुआ तो इसमें हिस्सा न लेने वाले 32 देशों में पाकिस्तान भी था।
अमेरिका के दस्तावेज हुए थे लीक
बता दें कि हाल ही में अमेरिका से खुफिया दस्तावेज भी लीक हुए थे। इन डॉक्यूमेंट्स में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर जानकारी लीक की गई थी। इससे पूरे विश्व में अमेरिका की किरकिरी हुई थी। इन दस्तावेजों में यूक्रेन को अमेरिका और नाटो देश किस तरह मदद देंगे और कैसे हथियारों की आपूर्ति करेंगे, इसकी जानकारी दी गई थी।
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