UNSC में PAK ने अलापा 'कश्मीर का राग' तो, भारत ने अलकायदा सरगना लादेन का जिक्र छेड़कर कर दी बोलती बंद

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाना इस्लामिक देशों खासकर; पाकिस्तान की फजीहत का कारण बन गया। भारत ने कहा कि जिस देश ने लादेन की मेजबानी की और पड़ोसी संसद(भारत) पर हमला किया, उसके पास संयुक्त राष्ट्र में उपदेश देने के लिए कोई अधिकार नहीं है।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 15, 2022 3:21 AM IST / Updated: Dec 15 2022, 08:58 AM IST

संयुक्त राष्ट्र(United Nations). संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UN Security Council) में कश्मीर का मुद्दा उठाना इस्लामिक देशों खासकर; पाकिस्तान की फजीहत का कारण बन गया। भारत ने बुधवार(14 दिसंबर) को पाकिस्तान पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि जिस देश ने अलकायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की मेजबानी की और पड़ोसी संसद(भारत) पर हमला किया, उसके पास संयुक्त राष्ट्र में उपदेश देने के लिए कोई अधिकार नहीं है। पढ़िए विदेश मंत्री जयशंकर ने कैसे इस्लामिक देशों की फजीहत की...


1. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता हमारे समय की प्रमुख चुनौतियों, चाहे वह महामारी हो, जलवायु परिवर्तन, संघर्ष या आतंकवाद हो, की प्रभावी प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। हम स्पष्ट रूप से आज बहुपक्षवाद में सुधार की तात्कालिकता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमारे पास स्वाभाविक रूप से हमारे विशेष विचार होंगे। लेकिन हम एक संशोधित बहुपक्षवाद(reformed multilateralism) बढ़ रहा है कि इसमें और देरी नहीं की जा सकती है।

2. बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की ओर से यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद करारा जवाब दिया। जयशंकर ने बगैर नाम लिए पाकिस्तान की फजीहत करते हुए कहा कि दुनिया जिसे स्वीकार नहीं करती, उसे सही ठहराने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए।  यह निश्चित रूप से सीमा पार आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश पर लागू होता है।''

3.जयशंकर की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब बिलावल भुट्टो ने यूएनएससी की भारत की दिसंबर की अध्यक्षता के तहत सुधारित बहुपक्षवाद (एनओआरएम) के लिए नई ओरिएंटेशन पर बहस के लिए बुलाई गई बैठक के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि UNSC मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।

4.बहस के लिए लिस्टेड 60 से अधिक वक्ताओं में भुट्टो भी थे, जिन्होंने परिषद में अपनी टिप्पणी में कश्मीर मुद्दे को उठाया। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज उस समय बहस की अध्यक्षता कर रही थीं, जब भुट्टो ने परिषद में बात की थी। बाद में, जैसा कि जयशंकर ने बहस की अध्यक्षता की, उन्होंने भुट्टो को करारा जवाब दिया।

5. जयशंकर ने अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन का जिक्र किया, जो पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में रह रहा था और मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के जवानों द्वारा उसके ठिकाने पर छापे में मारा गया था। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के आतंकवादियों ने 18 साल पहले 13 दिसंबर को नई दिल्ली में भारतीय संसद परिसर पर हमला किया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे।

6. पांच अगस्त, 2019 को नई दिल्ली द्वारा जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति(revoke the special status of Jammu and Kashmir) को रद्द करने के लिए संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान बौखलाया गया था और उसने भारत से अपने राजनयिक संबंधों(diplomatic ties) को कम कर दिया और भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था।

7. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट रूप से कहा है कि धारा 370 को खत्म करना उसका आंतरिक मामला है। इसने पाकिस्तान को वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी सभी प्रचार बंद करने की भी सलाह दी।

8. भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।

9. UNSC के इतर इस्लामिक देशों के संगठन OIC के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने पिछले दिनों विवादित बयान था। इस पर भी भारत ने उन्हें करार जवाब दिया था। ताहा ने कहा था कि कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए आईओसी बातचीत का एक खाका तैयार कर रहा है। वो इसके लिए पाकिस्तान सरकार और अन्य देशों के साथ मिलकर एक योजना बना रहा है। इस पर भारत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ओआईसी को आड़े हाथों लेते हुए नसीहत दी थी कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वो किसी और देश का इस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा।

10. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में इस बार 90 विधानसभा क्षेत्र होंगे। 90 सीटों में जम्मू क्षेत्र के हिस्से में 43 सीटें होंगी जबकि कश्मीर के हिस्से में 47 सीटें हैं। परिसीमन के प्रयोजनों के लिए जम्मू और कश्मीर को एक इकाई के रूप में माना गया है। जम्मू में विधानसभा की कुल सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 विधानसभा सीटों पर पहुंच गई है।

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