सार
सिखों के लिए 'खालिस्तान' की मांग करते आ रहे अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस(Sikhs For Justice-SFJ) की ऑस्ट्रेलिया में हुई रैली ने सबको चौंका दिया है। भारत सरकार के अनुरोध के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने SFJ की रैली को बैन नहीं किया।
मेलबर्न(MELBOURNE). सिखों के लिए 'खालिस्तान' की मांग करते आ रहे अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस(Sikhs For Justice-SFJ) की ऑस्ट्रेलिया में हुई रैली ने सबको चौंका दिया है। भारत सरकार के अनुरोध के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने SFJ की रैली को बैन नहीं किया। मेलर्बन में 'ऑस्ट्रेलियाई सिख नरसंहार जनमत संग्रह-Australian Sikh Genocide Referendum, नाम से हुई इस कार-बाइक रैली में बड़ी संख्या में अलगाववादी समर्थक जुटे। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
सौहार्द्र बिगाड़ने वाले बैनर्स हाथ में लिए थे
पाकिस्तान के मीडिया geo.tv और अन्य मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार,अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा आयोजित रैली में 2,000 से अधिक कारों, जीपों और ट्रकों ने हिस्सा लिया, जो ऑस्ट्रेलियाई राजधानी के कई हिस्सों से होकर गुजरी। रैली का नेतृत्व सैकड़ों हैवी बाइकर्स ने किया था। इनके हाथों में 'द लास्ट बैटल-टू किल इंडियन हिंदुत्व सिस्टम' यानी भारतीय हिंदुत्व सिस्टम को मारने के लिए आखिरी लड़ाई जैसे सौहार्द्र बिगाड़ने वाले बैनर्स थे। इसमें कहा गया कि 1984 के दंगों में 30,000 भारतीय सिख मारे गए थे। बताया जाता है कि इस 5 किमी लंबे काफिले ने मेलबर्न रोड को जाम कर दिया था। यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मानवाधिकार दिवस(United Nations Human Rights Day) के आसपास की घटनाओं के साथ मेल खाता है।
29 जनवरी, 2023 को किया है जनमत संग्रह मतदान का ऐलान
बता देंकि 29 जनवरी, 2023 को होने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान( Khalistan Referendum voting) से पहले एक महीने के भीतर सिख फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित यह तीसरा बड़ा कार्यक्रम है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत सरकार के अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग(Penny Wong) और गृह मामलों के मंत्री क्लेयर ओ'नील(Claire O’Neil) के साथ एक बैठक में भारत ने स्थानीय सिख समूहों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ सरकारी अधिकारियों को एक दस्तावेज पेश किया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया है। ऑस्ट्रेलिया ने तर्क दिया था कि ये कार्यकर्ता स्थानीय कानूनों का पालन कर रहे हैं।
खतरनाक हैं SFJ के मंसूबे
सिख फॉर जस्टिस ने मेलबर्न में खालिस्तान रेफरेंडम अभियान शुरू किया, जिसमें हजारों की संख्या में नगर कीर्तन में भाग लिया और ऑस्ट्रेलियाई सिखों से 29 जनवरी को 'हरियाणा बनेगा खालिस्तान' के उद्देश्य से मतदान करने का आह्वान किया। मेलबर्न में खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान केंद्र सतवंत सिंह और केहर सिंह को समर्पित किया गया है। बता दें कि ये इंदिरा गांधी के हत्यारे थे, जिन्हें 6 जनवरी, 1989 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।
SFJ ने खालिस्तान जनमत संग्रह के माध्यम से भारत से अलगाव के लिए निर्धारित क्षेत्रों का एक नक्शा जारी किया है, जो शिमला को अपनी राजधानी घोषित करता है। इसमें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सिख आबादी वाले क्षेत्र शामिल हैं। नक्शे में पंजाब के बाहर भारत के कई राज्यों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है, लेकिन ननकाना साहिब और पाकिस्तान में ऐतिहासिक सिख स्थानों करतारपुर को नक्शे से बाहर कर दिया गया है। बता दें कि लंदन (ब्रिटेन) जहां 31 अक्टूबर, 2021 को खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान शुरू हुआ-जिनेवा, मिलान, रोम और टोरंटो में हुए मतदान में अब तक 600,000 से अधिक सिखों ने मतदान किया है।
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