
इस्लामाबाद। पाकिस्तान अपने प्रयासों के बाद भी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ सका है। वह लगातार आतंक के खिलाफ मुहिम में शामिल होने का प्रयास कर यह साबित करने में लगा है लेकिन वैश्विक स्तर पर विश्वास नहीं जीत सका है। 27 में 26 पैरामीटर्स पर खरा उतरने के बाद भी उसका संकट खत्म नहीं हो सका है। छह प्वाइंट्स पर उसे अभी काम करना होगा।
दरअसल, फाइंनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने उसको ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में शामिल होने का मतलब कि वह आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा है। और उस पर पाबंदियों की भी तलवार लटकने लगी। 2018 से पाकिस्तान इस लिस्ट से नाम हटवाने और छवि सुधारने में लगा हुआ है। अब वह अपनी इस छवि के लिए फाइनेंशियल एक्शन टाॅस्क फोर्स और और एशिया-पैसिफिक ग्रुप आफ मनी लाॅडिं्रग के साथ मिलकर पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ काम किया है। वह यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ वह खड़ा है।
हालांकि, पाकिस्तान की इस कोशिश को दिशा भी मिली। वह अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के 27 में से 26 पैरामीटर्स पर खरा उतरा लेकिन ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ सका। अब उसको छह अन्य पैरामीटर्स का पालन करना होगा।
फरवरी में तीन पैरामीटर्स पर काम करने का मिला था निर्देश
पाकिस्तान को फरवरी 2021 में एफएटीएफ से एक नोटिस मिला था। इसमें उसे 27 शर्ताें पर काम करने का निर्देश मिला था ताकि ग्रे लिस्ट से उसका नाम हटाया जा सके। लेकिन पाकिस्तान ने 3 शर्ताें को पूरा करने में असमर्थता जताई। और उसे लिस्ट से बाहर नहीं किया जा सका।
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