दूसरों के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता भारत, हमारी प्रगति से जुड़ा है मानवता का कल्याण

Published : May 01, 2022, 08:39 PM ISTUpdated : May 01, 2022, 10:01 PM IST
दूसरों के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता भारत, हमारी प्रगति से जुड़ा है मानवता का कल्याण

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कनाडा के सनातन मंदिर सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत दूसरों के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत की प्रगति से पूरी मानवता का कल्याण जुड़ा है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सनातन मंदिर सांस्कृतिक केंद्र (एसएमसीसी), मार्खम, ओंटारियो, कनाडा में सरदार पटेल की प्रतिमा के उद्घाटन के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत दूसरों के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत की प्रगति से पूरी मानवता का कल्याण जुड़ा है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि कनाडा में भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल्यों को जीवंत रखने में सनातन मंदिर कल्चरल सेंटर की भूमिका से हम सब परिचित हैं। आप अपने इन प्रयासों में कितना सफल हुए हैं। आपने किस तरह अपनी सकारात्मक छाप छोड़ी है। अपनी कनाडा यात्राओं में मैंने यह अनुभव किया है। 2015 के अनुभव, कनाडा में भारतीय मूल के लोगों का वह प्यार, मैं कभी नहीं भूल सकता। मैं सनातन मंदिर कल्चरल सेंटर और इस अभिवन प्रयास से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। सनातन मंदिर में सरदार वल्लभभाई पटेल की यह प्रतिमा न केवल हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूती देगी बल्कि दोनों देशों के संबंधों की प्रतिक भी बनेगी। 

उन्होंने कहा कि एक भारतीय दुनिया में कहीं भी रहे, कितनी ही पीढ़ियों तक रहे। उसकी भारतीयता और भारत के प्रति उसकी निष्ठा तनिक भी कम नहीं होती। वो भारतीय जिस देश में रहता है पूरी लगन और ईमानदारी से उस देश की भी सेवा करता है। जो लोकतांत्रिक मूल्य, जो कर्तव्यों का अहसास उसके पुरखे भारत से ले गए होते हैं वो उसके दिल के कोने में हमेशा जीवित रहते हैं। भारत एक राष्ट्र होने के साथ ही एक महान परंपरा है। एक वैचारिक अधिष्ठान है। एक संस्कार की सरिता है। भारत वह शीर्ष चिंतन है जो वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता है।

दूसरे के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता भारत
पीएम ने कहा कि भारत दूसरे के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत अपने साथ संपूर्ण मानवता और दुनिया के कल्याण की कामना करता है। इसलिए कनाडा या किसी भी और देश में जब भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित कोई सनातन मंदिर खड़ा होता है तो वह उस देश के मूल्यों को भी समृद्ध करता है। इसलिए आप कनाडा में भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हैं तो उसमें लोकतंत्र की साझी विरासत का भी सेलिब्रेशन होता है। इसलिए मैं मानता हूं कि भारत की आजादी का यह सेलिब्रेशन कनाडा के लोगों को भी भारत को और नजदीक से देखने व समझने का अवसर देगा।

अमृत महोत्सव से जुड़ा आयोजन, सनातन मंदिर कल्चरल सेंटर का स्थल और सरदार पटेल की प्रतिमा, ये अपने आप में भारत का एक वृहद चित्र है। आजादी की लड़ाई में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्या सपने देखे थे। कैसे आजाद देश के लिए संघर्ष किया था। एक ऐसा भारत जो आधुनिक हो, जो प्रगतिशिल हो, जो अपने विचारों से, अपने चिंतन और अपने दर्शन से अपने जड़ों से जुड़ा हो। आजादी के बाद नए मुकाम पर खड़े भारत को उसकी हजारों साल पुरानी विरासत याद दिलाने के लिए सरदार साहब ने सोमनाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की।

अमृत महोत्सव में नया भारत बनाने का संकल्प ले रहे हैं
नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात उस सांस्कृतिक महायज्ञ का गवाह बना था। आज आजादी के अमृत महोत्सव में हम वैसा ही नया भारत बनाने का संकल्प ले रहे हैं। हम सरदार साहब के उस सपने को पूरा करने का संकल्प दोहरा रहे हैं। उसमें स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देश के लिए बड़ी प्रेरणा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की प्रतिकृति के रूप में कनाडा के सनातन मंदिर में सरदार साहब की प्रतिमा स्थापित की गई है। आज का यह आयोजन इस बात का प्रतिक है कि भारत का अमृत संकल्प केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। ये संकल्प विश्वभर में फैल रहे हैं। पूरे विश्व को जोड़ रहे हैं। आज जब हम आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाते हैं तो विश्व के लिए प्रगति के नए संभावने खोलने की भी बात करते हैं। आज जब हम योग के प्रसार के लिए प्रयास करते हैं तो विश्व के हर व्यक्ति के स्वास्थ की कामना करते हैं।

1985 में हुई थी एसएमसीसी परियोजना की शुरुआत 
बता दें कि सनातन मंदिर सांस्कृतिक केंद्र एक मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र है जो ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र के हिंदू समुदाय की सेवा करता है। एसएमसीसी की वेबसाइट के अनुसार एसएमसीसी परियोजना की शुरुआत 1985 में टोरंटो के गुजरात समाज द्वारा गुजराती और संस्कृति की मदद, प्रचार और संरक्षण के लिए की गई थी। आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए एसएमसीसी सभी उम्र के लोगों के लिए शिक्षा, धार्मिक पूजा और सामाजिक कार्यों के लिए सुविधाएं प्रदान करता है।

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