
ढाका. अवामी लीग की प्रेसीडियम सदस्य(Awami League Presidium Member) यानी सभापति-मंडल या अध्यक्षीय मंडल की मेंबर और सदन की उपनेता(Deputy Leader) फ्रीडम फाइटर सैयदा सजेदा चौधरी(Syeda Sajeda Chowdhury ) का निधन हो गया है। वह 87 वर्ष की थीं। रविवार को रात 11:40 बजे ढाका के कम्बाइंड मिलिट्री हॉस्पिटल (CMH) में इलाज के दौरान उसने अंतिम सांस ली। उसके बेटे शाहदाब अकबर चौधरी ने मीडिया से इसकी पुष्टि की। राष्ट्रपति एमअब्दुल हमीद, प्रधान मंत्री शेख हसीना और विपक्ष के उप नेता जीएम कादर ने पार्टी के वरिष्ठ नेता के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वह अपने पीछे तीन पुत्र और एक पुत्री छोड़ गई हैं। उनके पति गुलाम अकबर चौधरी एक लेखक-कॉलम लिखने वाले और भाषा आंदोलन के दिग्गज थे। ( पहली तस्वीर 7 सितंबर, 1991 की है। ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना(R) और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया(L) के साथ सैयदा साजेदा चौधरी।
भारत में ली थी मुक्ति संग्राम की ट्रेनिंग
साजेदा 1971 में बांग्लोदश की पाकिस्तान से आजादी के लिए हुए मुक्ति संग्राम(Bangladesh Liberation War-26 Mar 1971–16 Dec 1971) में ट्रेनिंग लेने भारत आई थीं। युद्ध के दौरान उन्होंने बांग्लादेश सरकार के 'गाबरा नर्सिंग कैंप' के निदेशक के रूप में रूप से काम किया। यानी घायलों की मदद की। 1975 में बंगबंधु की हत्या के बाद साजेदा ने तय किया था कि वे अवामी लीग की राजनीति में शामिल होंगी।
साजेदा चौधरी फील्ड पर होने वाली गतिविधियों में शेख हसीना की लंबे समय से साथी थीं। फरीदपुर -2 से मौजूदा विधायक साजेदा को दो सप्ताह पहले कोविड -19 से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि शनिवार को शाहदाब ने कहा कि उनकी मां की हालत में सुधार हो रहा है। अवामी लीग नेता के बेटे ने कहा कि संसद परिसर में पहली नमाज-ए-जनाजा के बाद उनके पार्थिव शरीर को फरीदपुर के नगरकांडा में उनके गृहनगर ले जाया जाएगा। बाद में उन्हें बनानी कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया जाएगा। 2015 में उन्होंने भारत में बाईपास सर्जरी करवाई थी।
जानिए कौन थी साजेदा चौधरी
सैयदा साजेदा चौधरी ( जन्म-8 मई 1935, निधन-11 सितंबर 2022) एक प्रसिद्ध बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ थीं। वह 2008 में फरीदपुर-2 निर्वाचन क्षेत्र से संसद(Jatiya Sangsad) की सदस्य बनीं। 2014 और 2018 में फिर से चुनी गईं। वह 12 फरवरी 2019 को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए बांग्लादेश संसद के सदन की उप नेता बनीं। इससे पहले उन्होंने बांग्लादेश की पर्यावरण और वन मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्हें बांग्लादेश सरकार द्वारा उन्हें 2010 में इंडिपेंडेंस अवॉर्ड मिला था।
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