हमेशा खुला रहता है इस राम मंदिर का दरवाजा, हिंदू नहीं कर सकते पूजा, जानें क्यों

Published : Dec 29, 2023, 10:49 AM ISTUpdated : Dec 29, 2023, 10:53 AM IST
ram mandir in pakistan

सार

इस राम मंदिर का दरवाजा हमेशा खुला रहता है और हिंदुओं के पूजा करने पर पाबंदी लगी है। अक्सर पाकिस्तानी सरकार इस मंदिर को हिंदुओं को सौंपने की बात करती है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं करती है।

वर्ल्ड डेस्क : अयोध्‍या में राम मंदिर के उद्घाटन (Ram Mandir Udghatan) की तैयारियां जोर-शोर पर चल रही हैं। भव्‍य मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस दौरान कई VVIP मौजूद रहेंगे। वैसे तो भगवान श्रीराम का मंदिर पूरी दुनिया में है लेकिन अयोध्यान में जन्मस्थली होने के चलते पूरी दुनिया का नजर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर है। जानकार आश्चर्य होगा कि भगवान राम का एक मंदिर पाकिस्तान (Ram Mandir in Pakistan) में भी है। हालांकि, वहां हिंदुओं के पूरा करने पर रोक है। आइए जानते हैं इस राम मंदिर के बारें में...

पाकिस्तान में कहां है राम मंदिर

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास सैयदपुर में भगवान श्रीराम का एक मंदिर है। कायदे आजम यूनिवर्सिटी के आर्कियोलॉजी विभाग के अनुसार, बंटवारे के बाद सभी मंदिरों की देखरेख रूक गई थी। 1950 के लियाकत-नेहरू समझौते में ऐसी पवित्र जगहों को शरणार्थी संपत्ति ट्रस्ट को सौंपने की बात हुई लेकिन सैयदपुर गांव और वहां का राम मंदिर परिसर आज भी इस्लामाबाद के कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधीन ही आता है। रावलपिंडी गजेटियर के अनुसार, सैयदपुर गांव 1848 में बसा था।

सैयदपुर में राम मंदिर किसने बनवाया था

गजेटियर के अनुसार, सैयदपुर गांव में एक राम मंदिर, गुरुद्वारा और एक धर्मशाला हुआ करते थे। यहां करीब 8,000 श्रद्धालु हर साल आया करते थे। बंटवारे के बाद ज्‍यादातर हिंदू इस गांव को छोड़कर भारत चले गए। इसके बाद सैयदपुर गांव और राम मंदिर परिसर को शत्रु संपत्ति बताकर पाकिस्तानी सरकार ने सील कर दिया। बताया जाता है कि तब इस्लामाबाद में कम से कम 300 हिंदू घर हुआ करते थे। 1580 में राजा मानसिंह ने सैयदपुर का राम मंदिर बनवाया। इस गांव के आसपास कई ऐतिहासिक गुफाएं भी मिलती हैं। गांव में भगवान राम और लक्ष्मण के नाम पर एक कुंड भी था।

पाकिस्तान में राम मंदिर में पूजा क्यों नहीं कर सकते हिंदू

इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 2008 में सैयदपुर को 'धरोहर गांव' माना और उसका पुनर्निर्माण शुरू करवाया। इसी के तहत राम मंदिर की रंगाई-पुताई करवाई गई लेकिन मंदिर से मूर्तियां हटा दी गईं। इस मंदिर का दरवाजा हमेशा खुला रहता है और हिंदुओं के पूजा करने पर पाबंदी लगी है। अक्सर पाकिस्तानी सरकार इस मंदिर को हिंदुओं को सौंपने की बात करती है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं करती है।

पाकिस्तान में राम मंदिर में कब से बैन है पूजा

सैयदपुर गांव के राम मंदिर में हिंदुओं को पूजा की अनुमति नहीं है। कई बार इसकी मांग की गई लेकिन उन्हें रोक दिया गया। कहा जाता है कि 1960 में इस राम मंदिर परिसर को गर्ल्स स्कूल में बदला गया था। जिसका लंबे समय तक हिंदुओं ने विरोध किया। इसके बाद 2006 में स्कूल को वहां से हटा दिया गया लेकिन हिंदुओं को पूजा की अनुमति नहीं दी गई।

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