रानिल विक्रमसिंघम के रूप में 'सिंघम' रिटर्न, भारत के लिए Good News, पर चीन को लगेगी मिर्ची, ये है बड़ी वजह

रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति चुने गए हैं। यह भारत के लिए बड़ी खुशखबरी है। क्योंकि रानिल भारत को हमेशा अपना अच्छा दोस्त मानते रहे हैं, जबकि राजपक्षे एंड फैमिली चीन की समर्थक रही है। जानिए कैसे होगा भारत को फायदा...
 

वर्ल्ड न्यूज. श्रीलंका के राजनीति और आर्थिक संकट(Sri Lanka political and economic crisis) को लेकर भारत भी चिंतित था। लेकिन रानिल विक्रमसिंघे( Ranil Wickremesinghe) के श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति चुने जाने के साथ ही भारत का आधा तनाव दूर हो गया। रही बात अब आर्थिक संकट की, तो भारत पहले भी श्रीलंका की मदद करता आया है और अब अपने 'दोस्त राष्ट्रपति' के लिए चार कदम और बढ़कर आगे आएगा। रानिल का राष्ट्रपति चुना जाना भारत के लिए चीन के मसले पर फायदेमंद रहेगा।

दरअसल, श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे(Mahinda Rajapaksa) और उनके छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे(Gotabaya Rajapaksa) का झुकाव हमेशा चीन की तरफ रहा। चीन ने श्रीलंका को भारी भरकम कर्जा दिया। लेकिन रानिले शुरू से ही भारत के दोस्त रहे हैं। करीब 2 दशकों से श्रीलंका की सत्ता पर काबिज रहे महिंदा राजपक्षे ने भारत के बजाय चीन को अधिक अहमियत दी। उनके कार्यकाल में चीन ने श्रीलंका में कई बड़े प्रोजेक्ट खड़े किए। राजपक्षे के कार्यकाल में भारत और श्रीलंका के रिश्ते लगातार बिगड़ते गए। यह अलग बात है कि श्रीलंका के लिए चीन से दोस्ती फायदेमंद नहीं, बल्कि नुकसानदेह साबित हुई।

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श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे
श्रीलंका में पिछले 4 महीने से जारी सियासी संकट(Sri Lanka political crisis) अब जाकर खत्म होने जा रहा है। रानिल विक्रमसिंघे अब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। इस रेस में उनका मुकाबला पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के दुल्लास अलहप्परुमा और जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके से था। श्रीलंका में राष्ट्रपति इलेक्शन के 44 साल के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। 20 जुलाई को हुए इलेक्शन में रानिल विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले। दुल्लास अलहप्परुमा को 82, जबकि अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ 3 वोट मिले। 223 सांसदों ने वोटिंग की। 2 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। 4 वोट इनवैलिड हुए। इस तरह 219 वोट वैध रहे। रानिल विक्रमसिंघे ने अगस्त 2020 में संसदीय चुनावों के बाद यूनाइटेड नेशनल पार्टी की नेशनल लिस्ट से संसद पहुंचे थे। श्रीलंका के इतिहास में यह पहली बार था कि एक राष्ट्रपति का चुनाव कराने के लिए संसद में मतदान हुआ। गोटबाया राजपक्षे द्वारा पद खाली छोड़े जाने के बाद यह मतदान हुआ। उन्होंने 14 जुलाई 2022 को इस्तीफा दे दिया था। 

6 बार श्रीलंका के PM रहे, चीन को पसंद नहीं करते
महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के 5वें प्रधानमंत्री के तौर पर मई में शपथ दिलाई गई थी। वे भारत समर्थक के रूप में चर्चित हैं। 1994 से रानिल विक्रमसिंघे यूनाइटेड नेशनल पार्टी के चीफ रहे हैं। वे 6 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे। 73 साल के रानिल ने वकालात की पढ़ाई की है। उन्होंने 70 के दशक में राजनीति ज्वाइन की थी। 1977 में पहली बार सांसद चुने गए थे। जबकि 1993 में पहली बार PM बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदार संभाल चुके हैं। वे दो बार विपक्ष के नेता भी रहे। 
 

रानिल विक्रमसिंघे का Greatest Comeback

अगस्त 2020: कोलंबो में अपनी सीट गंवाई

जून 2021: बतौर सांसद संसद में फिर से एंट्री

मई 2022:  प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त

जुलाई 2022: श्रीलंका के राष्ट्रपति

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