जंग के बीच यूक्रेन पर Multidrug Resistant का खतरा, मामूली जख्म भी हो रहा जानलेवा, दवाएं हो रही बेअसर

यूक्रेन में लोग Multidrug Resistant हो चुके हैं और उन पर दवाओं का असर नहीं हो रहा है। इससे लोगों का इला करने में दिक्कत हो रही है।

Danish Musheer | Published : Apr 22, 2023 8:27 AM IST / Updated: Apr 22 2023, 02:27 PM IST

कीव: यूक्रेन और रूस (Ukraine -Russia War) के बीच जारी हुई जंग को एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है। अब तक दोनों देशो में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में दूसरे देश भी युद्ध में अपना योगदान दे रहे हैं। इस बीच युद्ध-प्रभावित यूक्रेन में लोग मल्टीड्रग रेजिस्टेंट (Multidrug Resistant) ग्रस्त हो चुके हैं और उन पर दवाई का कोई असर नहीं हो रहा है, जिससे लोगों की चिंताएं और ज्यादा बढ़ गई हैं। इस बात की जानकारी उस समय आई जब कुछ समय पहले यूक्रेन में जख्मी हुए नागरिकों को जर्मनी के अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया।

इलाज के दौरान पता लगा कि बहुत से मरीज मल्टीड्रग रेजिस्टेंट हो चुके हैं। यानी उनपर दवा का असर कम या फिर बिल्कुल नहीं हो रहा। इससे डॉक्टर भी परेशान हो चुके हैं कि वह इलाज कैसे करें? बता दें कि इस मल्टीड्रग रेजिस्टेंट को साइलेंट पेंडेमिक कहा जा रहा है। यह धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपना शिकार बना सकती है।

क्या है मल्टीड्रग रेजिस्टेंस?

इसे एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Anti Microbial Resistance) भी कहते हैं। यानी इंसानी शरीर पर दवाओं का बेअसर हो जाना। ये तब होता है जब बैक्टीरिया या वायरस या किसी भी तरह के परजीवी अपना रूप बदलते हैं। इतना ही नहीं AMR के कारण समय के साथ दवाएं शरीर पर दवाएं काम करना बंद कर देती हैं। ऐसे में मामूली इंफेक्शन भी खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि शरीर पर किसी एंटीबायोटिक का असर ही नही होने देता है।

क्यों होता है मल्टीड्रग रेजिस्टेंस?

दरअसल, एंटीबायोटिक दवाओं का काम बैक्टीरिया, वायरस आदि की ग्रोथ रोककर उन्हें खत्म करना होता है। इसलिए बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी में एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाओं से काम इलाज किया जाता है। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं।

शरीर पर नहीं होता दवा का असर

इतना ही नहीं अगर कोई शख्स जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर ले तो बैक्टीरिया में उसके लिए प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है, जिससे उस पर दवा का असर नहीं होता और बीमारी बनी रहती है।चिंता करने वाली बात ये है कि ये प्रतिरोधक क्षमता ट्रांसफर होते हुए बैक्टीरिया की एक से दूसरी प्रजाति में भी चली जाती है।

बैक्टीरिया हो जाते हैं ताकतवर

आमतौर पर अगर किसी के शरीर पर एक एंटीबायोटिक काम नहीं करती है, तो तो डॉक्टर दूसरी दवा देते हैं। ऐसे में कई बार नई दवा काम करती है तो कई बार नहीं। इसका मतलब है कि शरीर में अब वे बैक्टीरिया हैं, जो बहुत सी एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ ताकतवर हो चुके हैं और उन पर इन दवाओं का कोई असर नहीं होगा।

कितना घातक है मल्टीड्रग रेजिस्टेंस ?

मल्टीड्रग रेजिस्टेंस कितना खतरनाक है आप इस बात अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि साल 2019 में दुनियाभर में 12 लाख से ज्यादा मौतें एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते हुईं हैं। मारे गए लोग बैक्टीरियल बीमारियों का शिकार थे और एंटीबायोटिक ने उन पर असर करना बंद कर दिया था। मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपी इस स्टडी में साफ कहा गया कि मौजूदा दवाओं का समझदारी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

यूक्रेन से क्यों आ रहे हैं मल्टीड्रग रेजिस्टेंस के मामले?

90 के दशक में रूस से अलग होने के बाद यूक्रेन ने नए सिरे से खुद को स्थापित करना शुरू किया। इस दौरान देश की चिकित्सा प्रणावी इतनी अच्छी नहीं थी।ऐसे में बीमार लोगों ने खुद ही अपना इलाज शुरू कर दिया। साल 2021 तक वहां एंटीबायोटिक्स तक बिना डॉक्टर की पर्ची के खरीदे जा सकते थे। इस प्रैक्टिस को गलत तो कहा जाता था, लेकिन इसपर कोई सख्त नियम नहीं था।

हालांकि, बीते साल 1 अगस्त को ही वहां एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री के लिए नए नियम बने। इसके तहत अब वहां के लोग ओवर-द-काउंटर दवा नहीं खरीद सकते. अब लोगों को डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक मिलती है।

क्या एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया फैल भी सकते हैं?

चिंता की बात यह है कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं। किसी भी दूसरी संक्रामक बीमारी की तरह इसके बैक्टीरिया भी गंदे हाथों से या संक्रमित चीजों को छूने और उनके इस्तेमाल से फैल सकते हैं।

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