Russia on 1000th day of Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध के 1000वां दिन पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को बड़ी धमकी दी है। प्रेसिडेंट पुतिन ने कहा कि मॉस्को अब अपने परमाणु हथियार उपयोग का दायरा बढ़ाते हुए गैर परमाणु देश पर भी हमला कर सकता अगर, उस देश का सपोर्ट परमाणु संपन्न देश करते हों। रूस की यह धमकी सीधे तौर पर पश्चिमी देशों को है जोकि यूक्रेन का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति ने 1000वें दिन एक डिक्री भी इस संबंध में साइन की जोकि यह छूट देता है कि रूस अपने परमाणु हथियारों को गैर परमाणु संपन्न देश पर भी मजबूरी में इस्तेमाल कर सकता है अगर उस देश के साथ परमाणु क्षमता वाले देश हैं।
यूएस प्रेसिडेंट जो बिडेन ने यूक्रेन को रूसी क्षेत्र के अंदर तक हमला करने के लिए अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों को उपयोग करने की अनुमति दे दी है। अमेरिका के इस निर्णय पर अब रूस बौखला गया है। युद्ध के 1000वें दिन क्रेमलिन ने कसम खायी कि पश्चिम देशों के समर्थन से यूक्रेन अगर नाटो मिसाइलों से हमला करता है तो वह अपने परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए बाध्य होगा। क्रेमलिन ने मंगलवार कहा कि कीव के लिए पश्चिमी समर्थन का संघर्ष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और पश्चिमी सहायता हमारे ऑपरेशन के परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकती है। यह जारी है और पूरा होगा।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि परमाणु राज्यों के समर्थन से अगर यूक्रेन हमला कर रहा है तो यह परमाणु संपन्न पश्चिमी देशों का हमला माना जाएगा। रूस ने हमेशा परमाणु हथियारों को निरोध के साधन के रूप में देखा है और उनका उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब रूस मजबूर महसूस करेगा।
उधर, रूस के करीबी सहयोगी बेलारूस ने भी परमाणु पॉलिसी के विस्तार का ऐलान किया है। दोनों सहयोगी देशों का यह फैसला,पुतिन की पश्चिम को पीछे हटने के लिए मजबूर करने की बड़ी कार्रवाई मानी जा रही।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 21वीं सदी का यूरोप का सबसे घातक संघर्ष माना जा रहा है। इस युद्ध के 1000 दिन पूरे हो चुके हैं। इस युद्ध में अब तक दस लाख से ज़्यादा लोग मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस युद्ध ने यूक्रेन के शहर, कस्बे और गांव तबाह कर दिया है। अब हर ओर खंडहर ही खंडहर हैं। लाखों परिवारों की पीढ़ियां खत्म हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि केवल यूक्रेन ही झेल रहा। यूक्रेन और रूस दोनों जनसंख्या की कमी का दंश झेल रहे हैं। लोग मर रहे हैं। दोनों देशों में जनसंख्या संकट पैदा होते जा रहा है।
यह भी पढ़ें:
मोदी-लूला की गुफ़्तगू: जी20 की मेजबान ब्राजील को भारत से कैसे मिली प्रेरणा?