रूस यूक्रेन जंग: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में हुई सुनवाई, यूक्रेन ने की लड़ाई खत्म करने का आदेश देने की मांग

नीदरलैंड्स के हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई (Russia Ukraine War) पर सुनवाई हुई। रूस ने सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया।

हेग। नीदरलैंड्स के हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (International Court of Justice) में रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई (Russia Ukraine War) पर सुनवाई हुई। रूस ने सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। यूक्रेन ने कोर्ट से रूस को युद्ध बंद करने का आदेश देने की मांग की है। मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई होगी।

आईसीजे में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि एंटोन कोरिनेविच ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह पहली बार नहीं है कि यूक्रेन ने आंतरिक कानून के लिए रूस के अनादर का अनुभव किया है। अब दुनिया इसके अनादर और क्रूरता को समझती है। पुतिन झूठ बोल रहे हैं। उनके चलते यूक्रेन के नागरिक मर रहे हैं।

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दरअसल, यूक्रेन ने रूस के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में शिकायत दर्ज कराई थी। यूक्रेन ने रूस पर नरसंहार करने का आरोप लगाया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने कहा था कि यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अपना आवेदन आईसीजे को सौंप दिया है। आक्रामकता को सही ठहराने के लिए नरसंहार की धारणा में हेरफेर करने के लिए रूस को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। 

यूक्रेन ने कहा है कि हमले पर रूस का तर्क नरसंहार कानून की दोषपूर्ण व्याख्या पर आधारित है। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि सैन्य कार्रवाई उन लोगों की रक्षा के लिए जरूरी है, जिन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है और जिनके नरसंहार की आशंका है। यानी पूर्वी यूक्रेन के ऐसे लोग जो रूसी भाषा बोलते हैं।

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संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है आईसीजे
बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है। इसका मुख्यालय नीदरलैंड्स के हेग में है। यह नरसंहार जैसे अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन के तहत नरसंहार के आरोपों (यूक्रेन बनाम रूसी संघ) से संबंधित मामले में सार्वजनिक सुनवाई कर रहा है। यह अदालत दो देशों के बीच कानूनी विवाद का निपटारा करती है। ICJ किसी भी अधिकृत अंतरराष्ट्रीय शाखा, एजेंसी या संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से पूछे गए कानूनी प्रश्न पर अपनी सलाह भी देती है। वैसे, इस अदालत के फैसले बाध्यकारी हैं और देश आमतौर पर उनका पालन करते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें लागू करने का कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं है।

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