
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine war) शुरू हुए करीब दो महीने होने को हैं। अब तक लाखों लोग शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हुए हैं। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग घायल हुए हैं। यही नहीं, दुनियाभर में तमाम देशों को इस युद्ध की वजह से अलग-अलग तरह के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। कई देश तो खाद्यान्न संकट (Food crisis) से भी जूझ रहे हैं। वहीं, युद्ध थमने के अभी आसार नहीं दिख रहे। युद्ध अगर जल्दी नहीं रूका तो शरणार्थी जीवन, मौत और घायलों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ पूरी दुनिया को अकाल के खतरे का सामना भी करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह युद्ध दुनिया को खाद्यान्न संकट में धकेल सकता है। दरअसल, विशेषज्ञों के ऐसा दावा करने के पीछे एक बड़ी वजह भी है। यह लड़ाई रूस और यूक्रेन के बीच हो रही है। इस युद्ध से पहले ये दोनों देश दुनियाभर में सबसे ज्यादा खाद्यान्न बेचते थे। वनस्पति तेल और विभिन्न अनाजों के बड़े एक्सपोर्टर थे। यहीं नहीं, रूस तो ईंधन जैसे- पेट्रोल और गैस का भी सबसे बड़ा निर्यातक देश है, तो दुनियाभर में इसके दाम में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
जो देश रूस की गुड लिस्ट में नहीं, उनकी स्थिति होगी ज्यादा खराब
चूंकि, दोनों देश युद्ध में उलझे हुए हैं, इसलिए यहां रफ्तार पूरी स्पीड से नहीं हो पा रहा। हालात तो ऐसे हो गए हैं कि निर्यातक रहा यूक्रेन इन दिनों खुद खाद्यान्न संकट से जूझ रहा है और आने वाले दिनों, हफ्तों में यह संकट और गंभीर होता जाएगा, क्योंकि रूस के सैनिकों ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर नाकाबंदी कर रखी है, इसलिए वहां से अनाज एक जगह से दूसरे जगह नहीं जा पा रहा। यही नहीं, वहां पहले से बोई गई फसल की कटाई भी प्रभावित हुई है, तो अगले सीजन में भी खाद्यान्न की कमी होना तय माना जा रहा है। यानी युद्ध के परिणाम गंभीर और दूरगामी साबित होंगे। दुनियाभर में इससे गरीबी बढ़ सकती है। इसका प्रभाव उन गरीब देशों पर ज्यादा होगा, जो रूस की गुड लिस्ट में नहीं हैं। यानी हो सकता है रूस उन देशों को अनाज मुहैया नहीं कराए, जो अब तक यूक्रेन से अनाज और वनस्पति तेल आदि ले रहे थे।
सूखा, बाढ़ और तूफान के बाद अब युद्ध का प्रभाव
यह युद्ध अभी सिर्फ कुछ गरीब देशों पर ज्यादा असर डाल रहा है। श्रीलंका, आर्मेनिया, थाईलैंड जैसे दर्जनों देश हैं, जहां लोगों का ज्यादातर पैसा खाने-पीने की चीजें जुटाने पर अधिक खर्च हो रहा है। कुछ सालों से दुनियाभर में तमाम देश भयंकर गर्मी, तूफान, सूखा और बाढ़ से जूझ रहे हैं। अब युद्ध और ज्यादा खराब प्रभाव छोड़ेगा। ऐसे में यही मनाया जा सकता है कि जल्दी से जल्दी युद्ध खत्म हो, जिससे यह संकट उतना ही असर डाले, जितना झेला जा सके।
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