यूक्रेन पर परमाणु हमले करने की सोच रहा था रूस, फिर पीएम मोदी ने की पुतिन से बात और...

रूस और यूक्रेन के बीच अभी भी जंग जारी है। 2022 से चल रही इस जंग को लेकर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रूस काफी पहले ही यूक्रेन पर परमाणु हमला करने की सोच रहा था, लेकिन पीएम मोदी के दखल के बाद उसने ऐसा नहीं किया। 

 

Yatish Srivastava | Published : Mar 10, 2024 2:28 PM IST / Updated: Mar 10 2024, 08:23 PM IST

वर्ल्ड डेस्क। रूस और यूक्रेन  के बीच जंग अभी तक चल रही है। खास बात ये है कि रूस ने एक समय तो यूक्रेन पर परमाणु हमला करने की ठान ली थी लेकिन पीएम मोदी के दखल देने और पुतिन से वार्ता करने के बाद यह हमला टल गया था। हालांकि बाद में अन्य देशों ने भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर परमाणु हमला न करने को लेकर पुतिन से अपील की थी। 

पीएम मोदी समेत अन्य देशों की अपील पर टला न्यूक्लियर अटैक
वर्ष 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के साथ ही यूएस ने कीव देश के खिलाफ मास्को के जरिए परमाणु हमले की तैयारी शुरू कर दी थी। यह करीब 80 सालों में अमेरिका की ओर से हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के बाद पहले न्यूक्लियर अटैक होता। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य देशों की अपील पर यह अटैक टल गया। अधिकारियों का कहना है कि बिडेन एडमिनिस्ट्रेशन काफी चिंता में था कि रूस कभी भी यूक्रेन पर अटैक कर सकता है।  

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अमेरिका ने भारत व अन्य देशों से मांगी थी मदद
रूस यूक्रेन वॉर में न्यूक्लियर हथियारों के प्रय़ोग को रोकने को लेकर अमेरिका ने भारत समे गैर सहयोगी देशों से इस संभावित अनहोनी को रोकने के लिए मदद मांगी थी। यहा कहा गया था कि सभी देशों को किसी भी तरह रूस को ऐसा कदम न उठाने के लिए उसपर दबाव डालना ही मकसद था। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुले मंच पर इस युद्ध को लेकर दिए गए बयानों ने न्यूक्लियर हमले को टालने में काफी मदद की।

कई देशों के बयानों से पड़ा दबाव
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों के बयानों ने रूस और यूक्रेन के बीच वॉर को लेकर न्यूक्लियर अटैक की संभावना पर असर डाला। यह भी कहा कि न्यूक्लियर अटैक को लेकर भारत की ओर से बयान, चीन की ओर से दिए बयान और अन्य देशों के बयानों का कहीं न कहीं असर पुतिन पर पड़ा कि उन्होंने परमाणु हमले का निर्णय बदल दिया। 

मुझे लगता है कि तथ्य यह है कि हम जानते हैं, भारत ने वजन बढ़ाया, चीन ने वजन बढ़ाया, दूसरों ने वजन बढ़ाया, उनकी सोच पर कुछ प्रभाव पड़ा होगा।" "

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