रूस ने दी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तबाह करने की धमकी, कहा-पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते होगा क्रैश

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) के चलते करीब 330 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर काट रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों से बौखलाए रूस ने धमकी दी है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तबाह हो सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 12, 2022 12:05 PM IST

मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) के चलते करीब 330 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर काट रहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों से बौखलाए रूस ने धमकी दी है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तबाह हो सकता है। रूस ने कहा है पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते यह क्रैश हो सकता है।

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण बन सकते हैं। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, रोस्कोस्मोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने कहा, "रूसी खंड सुनिश्चित करता है कि स्टेशन की कक्षा (साल में औसतन 11 बार) सही हो, जिसमें अंतरिक्ष मलबे से बचना भी शामिल है।" रोगोजिन ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का रूसी खंड प्रभावित हो सकता है, जिससे 500 टन की यह संरचना "समुद्र में या जमीन पर गिर सकती है।" 

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अंतरिक्ष में स्थित हाई-टेक लैब है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 
बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में स्थित हाई-टेक लैब है। यह करीब 330 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित है और पृथ्वी का चक्कर काटती रहती है। यह लगभग एक फुटबॉल मैदान जितना लंबा है। इसका सोलर पैनल एक एकड़ में फैला है। इसे 1998 में लॉन्च किया गया था। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का संचालन कनाडा, यूरोप, जापान, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 15 देशों की पांच अंतरिक्ष एजेंसियों की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के तहत होता है।

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गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर अमेरिका और उसके सहयोगी देश आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं। अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य G7 देशों ने रूस पर अपने आर्थिक प्रतिबंधों को बढ़ा दिया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस के बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमरिका ने रूस से क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस खरीदने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। रूस का यह कमाई का प्रमुख सोर्स है। 

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